पटना

पटना: 400 नियोजन इकाईयों की काउंसलिंग रद्द


      • शिक्षा मंत्री ने दिए गड़बड़ी की जांच के आदेश
      • दोषियों पर दर्ज होगी प्राथमिकी

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहले चरण के  तकरीबन 400 नियोजन इकाइयों की काउंसलिंग रद्द कर दी गयी है।

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने समीक्षा के बाद संबंधित नियोजन इकाइयों के स्तर पर हुई गड़बड़ी की जांच के आदेश दिये हैं। जांच में  जो दोषी पाये जायेंगे, उन पर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश भी शिक्षा मंत्री श्री चौधरी द्वारा दिये गये हैं। जिन नियोजन इकाइयों की काउंसलिंग रद्द हुई है, उन नियोजन इकाइयों के लिए फिर से काउंसलिंग होगी। इनमें अधिकांश पंचायत नियोजन इकाई हैं।

प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहले चरण में राज्य भर में तकरीबन 4800 नियोजन इकाइयों के लिए काउंसलिंग हुई। इनमें से तकरीबन 4400 नियोजन इकाइयों में तय प्रक्रिया का सख्ती से पालन हुआ। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता रही। लेकिन, तकरीबन 400 नियोजन इकाइयों के लिए हुई काउंसलिंग में कई तरह की गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इसे काफी गंभीरता से लिया। पूरे मामले की समीक्षा के बाद शिक्षा मंत्री श्री चौधरी द्वारा काररवाई के आदेश दिये गये हैं।

गड़बडिय़ों की जांच काउंसलिंग प्रक्रिया एवं काउंसलिंग केंद्र की करायी गयी वीडियो रिकार्डिंग से होगी। इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) को निर्देश दिये गये हैं। रिपोर्ट तीन दिन में मांगी गयी है। निर्देश में जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) से कहा गया है कि काउंसलिंग  स्थल पर आपके द्वारा वीडियोग्राफी की व्यवस्था की गयी थी। अपने जिले में अभ्यर्थियों से प्राप्त शिकायतों पर यथा आवश्यक मेधा सूची की प्रति एवं वीडियोग्राफी की सहायता से उठाये गये बिन्दु पर त्वरित जांच कर ली जाय।


अध्यापक शिक्षा महाविद्यालयों में शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द

पटना (आशिप्र)। राज्य के अध्यापक शिक्षा महाविद्यालयों में तात्कालिक व्यवस्था के तहत प्रतिनियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द कर दिया गया है। इस बाबत शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा द्वारा संबंधित छह अध्यापक शिक्षा महाविद्यालयों के  प्राचार्यों को निर्देश दिये गये हैं। इसके मुताबिक आवश्यकतानुसार प्रतिनियुक्ति के आधार पर व्याख्याता पद पर कार्यरत शिक्षकों को स्थानान्तरित करते हुए पदस्थापित किया जा चुका है।

ऐसी परिस्थिति में गत 15 जुलाई तक ऐसे शिक्षक, जो प्रतिनियुक्त होकर कार्यरत हैं तथा उनके वेतनादि का भुगतान मूल पदस्थापन वाले विद्यालय से होता है, को विरमित करने के आदेश दिये गये हैं। इस बाबत रिपोर्ट भी तलब की गयी है।  उल्लेखनीय है कि सारण (छपरा), सहरसा, भागलपुर, गया, समस्तीपुर एवं तुर्की (मुजफ्फरपुर) में  अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय हैं।


यदि मेधा सूची एवं वीडियोग्राफी में प्राप्त साक्ष्य के आधार पर आपत्ति प्रमाणित होती है, तो इस स्थिति में दोषी कर्मी – पदाधिकारी तथा पंचायत-नगर निकाय के प्रतिनिधि के विरुद्ध पंचायत प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति एवं सेवाशर्त नियमावली,  2012 (यथा संशोधित) के नियम 11 (च) के आलोक में बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा उनके संवैधानिक दायित्वों का उल्लंघन मानते हुए पंचायतीराज अधिनियम 2006 (यथा संशोधित) एवं बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के तहत काररवाई होगी। इससे संबंधित रिपोर्ट  तीन दिन में मांगी गयी है।

दरअसल, नियोजन इकाइयों द्वारा काउंसलिंग की काररवाई का सतत अनुश्रवण जिला एवं राज्य स्तर पर किया जा रहा है। अनुश्रवण के क्रम में अभ्यर्थियों द्वारा शिकायत दर्ज की गयी है कि कतिपय नियोजन इकाइयों द्वारा काउंसलिंग की प्रक्रिया के लिए विभागीय निर्देशों की अवहेलना की जा रही है, यथा नियोजन इकाई द्वारा मेधा सूची का ससमय निर्माण नहीं किया जाना, आवेदन प्राप्त करने के बावजूद मेधा सूची में अभ्यर्थी का नाम नहीं रहना, काउंसलिंग के दिन सदस्य सचिव का अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहना, मेधा सूची के क्रम से अभ्यर्थियों को नहीं बुलाया जाना, काउंसलिंग के लिए संघारित रजिस्टर में छेड़छाड़ किया जाना, रोस्टर बिन्दु का उल्लंघन किया जाना आदि।