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प्रत्याशी घोषित होने से पहले ही नीतीश कुमार की पार्टी के नेता ने कटा ली थी रसीद


मुजफ्फरपुर, । बिहार की राजनीति के केंद्र में अभी कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव है। यहां नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। अभी तक केवल एक नामांकन पत्र दाखिल किया गया है। उनके नामांकन से कहीं अधिक चर्चा अभी इस बात की हो रही है कि दोनों प्रमुख गठबंधनों यानी महागठबंधन व एनडीए की ओर से कौन प्रत्याशी घोषित होते हैं। महागठबंधन की ओर से जदयू नेता मनोज कुशवाहा प्रत्याशी बनाए गए हैं। अब एनडीए की बारी है। इसके बाद मुकेश सहनी की पार्टी व ओवैसी की पार्टी की चाल के बारे में भी सब जानना चाहेंगे। मनोज कुशवाहा अपनी दावेदारी को लेकर निश्चिंत थे। इसका प्रमाण शुक्रवार को उस समय दिखा था जब सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के नेता तथा पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा ने नाजिर रसीद कटा ली थी। इससे पहले उन्होंने एक पोस्ट भी किया था। जिसे बाद में उन्होंने हटा लिया था। इन दो घटनाओं ने सरगर्मियां बढ़ा दी थी। अब चर्चा यह है कि राजद की दावेदारी के बाद भी मनोज कुशवाहा ने कैसे गेंद अपने पाले में कर लिया?

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जदयू नेता का 14 नवंबर को नामांकन का एलान

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में नामांकन की रफ्तार काफी धीमी है। शुक्रवार को एक भी नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया गया। इस बीच कई चेहरे नामांकन के लिए रसीद कटा रहे। इसमें से एक प्रमुख दावेदार जदयू के कद्​दावर नेता व पूर्व मंत्री मनेाज कुशवाहा भी हैं। उन्होंने 14 नवंबर को नामांकन का एेलान कर दिया है। उन्होंने अपने स्तर से जो दावा किया था वह आधिकारिक रूप से भी हो गया है। इसलिए उन्होंने घोषणा से पहले ही एनआर कटा ली थी। बिहार विधानसभा चुनाव 2022 में एनडीए गठबंधन में होने के कारण उन्हें मौका नहीं मिला था। दल की ओर से मीनापुर भेजे जाने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकराना ही बेहतर समझा था। इस बार जदयू महागठबंधन के साथ है। वहीं दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि यदि वे इस मौके को अपने हाथ से जाने देते तो 2025 में भी उनके लिए परेशानी होती। एक तरह से देखा जाए तो उनका पूरा करियर ही दांव पर था।