पटना

फुलवारीशरीफ: रामगढ़ में बस-कार में भिड़ंत, पांच की मौत


कार और बस में लगी आग, सभी मृतक फुलवारीशरीफ के रहनेवाले

फुलवारीशरीफ। बुधवार सुबह करीब आठ बजे रामगढ़ के नजदीक रजरप्पा थाना क्षेत्र के लारी के निकट महाराजा बस और पटना की ओर आ रही वैगन आर कार में आमने-सामने जोरदार भिड़ंत हो गयी। दुर्घटना में कार बस के अगले हिस्से में पूरी तरह समा गये, जिससे देखते-देखते कार में आग लग गयी और ध-धू कर कर जलने लगी और बस में सवार यात्रियों में अफरा-तफरी मच गयी आनन-फानन बस में सवार लोग जान बचाने के लिए कूदकर निकल भागे।

वहीं हादसे के बाद लगी आग में कार धू-धू जलने लगी। कार में सवार 5 लोगों की बुरी तरह जल कर मौत हो गयी। घटना को देख आसपास के लोगों ने पुलिस प्रशासन को खबर दिया, फिर मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग बुझाने का काम शुरू किया। बुधवार की सुबह हुई इस भीषण हादसे में कार सवार सभी लोग पटना के फुलवारीशरीफ के रहने वाले थे। मृतकों में कार सवार आलोक कुमार 25 वर्ष, बोचाचक फुलवारीशरीफ, ब्रह्मपुर निवासी 32 वर्ष मुन्ना कुमार, पिता शिव रतन राय और ब्रह्मपुर निवासी 42 वर्षीय किशोर कुमार, रानीपुर निवासी, रवि राय के 18 वर्षीय बेटे आर्यन कुमार उर्फ गोलू समेत एक अन्य शामिल है। वहीं बस में सवार सभी यात्री सुरक्षित बताये जा रहे हैं। सडक़ दुर्घटना की जानकारी मिलते ही आसपास के ग्रामीण के साथ मिलकर रजरप्पा पुलिस राहत कार्य में जुट गयी है। इस दुर्घटना के बाद रामगढ़ बोकारो हाईवे पर परिचालन रोक दिया गया है। इसके कारण दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गयी है।

वहीं कार सवार 5 लोगों की मौत की खबर जैसे ही पटना के फुलवारीशरीफ पहुंची मृतकों के परिजनों में कोहराम मच गया। मृतकों के परिजन आनन-फानन झारखंड के लिए रवाना हुए। इधर मृतकों के मोहल्ले और परिवार में लोगों की भीड़ जमा हो गयी। इस हादसे की खबर से पूरे इलाके में मातम का माहौल पसर गया।

बताया जाता है कि पटना के फुलवारीशरीफ के बोचा चक के रहने वाले संजय ठाकुर के पुत्र आलोक कुमार अपने चार दोस्तों के साथ रजरप्पा में पूजा करने गए थे। फुलवारी में बेऊर अखाड़ा इलाके में आलोक कुमार की आलोक ट्रेडर्स की दुकान है, आलोक कुमार अपने दुकान के पास के रहने वाले ब्रह्मïपुर निवासी मुन्ना कुमार, किशोर कुमार और रानीपुर के रहने वाले गोलू एवं एक अन्य दोस्त के साथ मंगलवार की शाम रजरप्पा के लिए रवाना हुए थे। मृतक आलोक कुमार मूल।प से कुर्था अरवल के कनसुआ गांव का रहने वाला था, जो बोचाचक में मनीष सिंह के मकान में किराये में रहता था। दो भाइयों में आलोक बड़ा था। छोटा भाई शिवम ने बताया कि मंगलवार शाम सात बजे के करीब उनका भैया आलोक अपनी वैगन आर लेकर दोस्तों के साथ रजरप्पा के लिए निकले थे।

आलोक ने एक सप्ताह पहले ही सेकेंड हैंड कार खरीदी थी। जिसका डेंट पेंट कराने के बाद रजरप्पा में पूजा का कार्यक्रम बना था। आलोक की जहां ट्रेडर्स की दुकान है, उसके पास वाले गांव ब्रह्मपुर में रहने वाले किशोर और चालक मुन्ना एवं रानीपुर के आर्यन उर्फ गोलू के साथ रजरप्पा के लिए निकला। इनके साथ पांचवां दोस्त उदय बताया जाता है, जिसके बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल सकी है।  आलोक के घर उसकी दुर्घटना में मौत की खबर मिलते ही मां रेखा देवी बेहोश हो गयी। वहीं छोटा भाई शिवम और पिता सजंय ठाकुर का रो-रो कर बुरा हाल होने लगा। आलोक अपने घर मे कमाऊ बेटा था, जिसके कमाई से घर चलता था। मां रेखा देवी, पिता सजंय ठाकुर को समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक यह सब कैसे हो गया। आलोक परिवार के साथ फुलवारीशरीफ के बोचा चक में मनीष सिंह के मकान में किराये में रहता था। उसका मूल निवास स्थान कुर्था अरवल के कनसुआ गांव बताया जाता है। बड़े  बेटे आलोक की दुर्घटना में मौत से परिवार में कोहराम मच गया। मां रेखा देवी, पिता सजंय ठाकुर और अन्य का रो-रो कर बुरा हाल होने लगा।

निजी वाहन चलाने का काम कर घर परिवार चलाने वाला मुन्ना उस वैगन आर कार को चला रहा था, जिसमें बस हादसे के बाद आग लगने से चार दोस्तों के साथ उसकी भी मौत हो गयी। ब्रह्मïपुर निवासी शिव रत्न राय के छह बेटों में मुन्ना सबसे छोटा था। इसके छह भाई, राजू राय, विजय राय, उदय राय, पप्पू राय, शंभू राय हैं। मुन्ना सबसे छोटा था। मुन्ना की पत्नी मीणा देवी, मां टूसिया देवी, पिता शिवरतन राय समेत पूरे परिवार में रोना-पीटना मचा था। मुन्ना के चार बच्चे हैं, जिनमें बेटी चुलबुल । साल, बेटी स्नेहा, रवि शंकर 5 साल, गौरी शंकर ढाई साल हैं।

जमीन खरीद-बिक्री का काम करने वाले किशोर कुमार, पिता रामशक्ल राय उम्र 43 साल भी मुन्ना के परिवार में ही आते हैं। कार चालक मुन्ना के घर पास ही किशोर के घर भी परिजनों में रोना-पीटना मचा हुआ था। किशोर कुमार की मां शारदा देवी, पत्नी रिंकी देवी छाती पीट-पीट दहाड़ मार रोये जा रही थी। उसके छोटे-छोटे दो बेटे सुमित व प्रिंस उर्फ कल्लू को पता भी नहीं चल रहा था कि उसके सर से पिता का साया उठ चुका हैं। मां और अन्य परिवार वालों को रोता-बिलखता देख बच्चे भी रो रहे थे। घर और मोहल्ले में जमा लोगों की आंखें भी बरस रही थी।