सम्पादकीय

बड़ी साजिश नाकाम


उत्तर प्रदेशकी राजधानी लखनऊमें अलकायदाके दो आतंकियोंकी गिरफ्तारी और स्वतन्त्रता दिवससे पूर्व अनेक शहरोंमें बड़े हमलेकी साजिशका पर्दाफाश होनेके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हो गयी हैं। इसीके साथ ही आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने देशके अनेक राज्योंमें छापेमारी और तलाशीका क्रम भी शुरू कर दिया है। अलकायदा देशके लिए बड़ा खतरा बन रहा है लेकिन सुरक्षा एजेंसियोंकी सतर्कता और सक्रियतासे अलकायदाकी कोई साजिश सफल नहीं हो पा रही है। लखनऊमें गिरफ्तार आतंकियोंके कुछ शातिर साथी फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी भी आवश्यक है। गिरफ्तार आतंकियोंके पाससे विस्फोटक भी बरामद किये गये हैं। प्रेशर कूकर बम और घातक हथियारोंकी बरामदी इस बातका संकेत है कि वे किसी बड़ी घटनाको अंजाम देना चाहते थे। एडीजी प्रशान्त कुमारका कहना है कि उमर हलमण्डी नामक हैंडलरको भारतमें आतंकवादी गतिविधियोंको संचालित करनेके निर्देश दिये गये हैं। उमर हलमण्डी पाकिस्तान-अफगानिस्तानकी सीमा क्षेत्रसे आतंकी गतिविधियां संचालित करता है। वह भारतमें आतंकियोंकी भरती करनेका भी काम करता है। जेहादी प्रवृत्तिके कुछ लोगोंकी लखनऊमें तैनाती की गयी है। इस गिरफ्तारीके साथ देशभरमें सुरक्षा एजेंसियोंने सतर्कता बढ़ा दी है। दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल सहित अन्य क्षेत्रोंमें विशेष अभियान चलाये गये हैं। जम्मू-कश्मीरमें छह संदिग्ध और पश्चिम बंगालमें तीन संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार किये गये हैं, जो बंगलादेशके हैं। पंजाबके मोगा से खालिस्तानी आतंकवादी मामलेसे जुड़े एक हथियार तस्करको गिरफ्तार किया गया है। इसी प्रकारसे अन्य क्षेत्रोंसे भी गिरफ्तारीकी खबर है। एटीएसने सर्जिकल स्ट्राइक जैसी बड़ी काररवाई की है। सभी संवेदनशील क्षेत्रोंमें सतत सतर्कता बरतनेकी आवश्यकता है, क्योंकि अलकायदासे जुड़े आतंकी स्वतन्त्रता दिवसके पूर्व बड़ी घटनाओंको अंजाम देनेकी फिराकमें है। राज्योंकी पुलिस और गुप्तचर तंत्रकी जिम्मेदारी बढ़ी है। इसके साथ ही आम जनताको भी स्वयं सतर्क रहनेकी आवश्यकता है। अपने क्षेत्रोंमें संदिग्ध लोगोंपर नजर रखने और इसकी सूचना तत्काल पुलिसको देनेकी जरूरत है। जनता और सरकारको एक ओर जहां कोरोना महामारीको परास्त करना है तो दूसरी ओर देशके विभिन्न क्षेत्रोंमें बढ़ते आतंकी खतरोंकी चुनौतियोंका भी मुकाबला करना है, जिससे कि देश और जनता दोनों सुरक्षित रहें।

राजनयिकोंकी वापसी

भारतने युद्धग्रस्त अफगानिस्तानमें तालिबान लड़ाकोंके कई नये इलाकोंपर कब्जेके बाद बिगड़ते सुरक्षा हालातको देखते हुए कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावाससे ५० राजनयिकों और सुरक्षाकर्मियोंको वापस बुला लिया है। हालांकि कंधारमें वाणिज्य दूतावास बंद नहीं किया गया है, बल्कि सुरक्षाकी दृष्टिïसे यह कदम उठाया गया है। कंधार शहरके पास जिस तरह अफगान और तालिबानमें भीषण युद्ध छिड़ा हुआ है, इसे देखते हुए भारत सरकारका यह फैसला उचित है। कर्मचारियोंकी वापसी एक अस्थायी कदम है जो कुछ समयके लिए है, क्योंकि राजनयिकोंकी रक्षा और सुरक्षा सर्वोपरि है। इन राजनयिकों और कर्मचारियोंको लानेके लिए वायुसेनाका विशेष विमान कंधार भेजा गया था जो सभी भारतीयोंको लेकर सुरक्षित स्वदेश लौट आया। इस उड़ानको संचालित करनेके लिए विशेष मंजूरी ली गयी थी। अफगानिस्तानमें दिनों-दिन बिगड़ते हालातके बीच सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई देश अपने वाणिज्यिक दूतावासके कर्मचारियोंकी सुरक्षा चिन्ताओंको लेकर फैसले ले रहे हैं। पिछले हफ्ते रूसने उत्तरी अफगानिस्तानके मजार-ए-शरीफमें अपने वाणिज्यिक दूतावास बंद करनेकी घोषणा की थी, जबकि चीनने भी इसी महीनेकी शुरुआतमें अपने २१० नागरिकोंको वापस बुला लिया था। तालिबान पूरे विश्वके लिए खतरा बनता जा रहा है। अफगानिस्तानमें जिस तरह तालिबानका नये-नये इलाकेपर कब्जा बढ़ता जा रहा है उसे देखकर लगता है कि तालिबान पूरे अफगानिस्तानपर कब्जा करना चाहता है। अफगानिस्तानमें तालिबानके बढ़ते प्रभावसे भारतका चिन्तित होना स्वाभाविक है। भारतका विभिन्न देशोंसे अफगानकी बिगड़ती स्थितिपर चर्चा, विश्व समुदायको अपनी चिन्ताओंसे अवगत करानेकी रणनीतिका हिस्सा है। अफगानिस्तानमें हिंसाका दौर थमना चाहिए। यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्वके हितमें है। इसके लिए सभी देशोंको एकजुट प्रयास करना होगा।