पटना

बिहारशरीफ: अस्पतालों के सफाई के नाम पर आउटसोर्सिंग इकाईयों ने की करोड़ों रुपये की अतिरिक्त निकासी


    • जिलाधिकारी ने डीडीसी की अध्यक्षता में चारसदस्यीय जांच टीम का किया गठन
    • दो आउटसोर्सिंग एजेंसी सहित भवन निर्माण के जेई, एई और ईई का फंसना तय
    • जांच दल पर ही संदेह वजह यह कि समय अवधि पूरा होने के बाद भी नहीं सौंपा गया जांच रिपोर्ट
    • पूर्व के दिनों में भी स्वास्थ्य विभाग की कई जांच का रिपोर्ट अब तक नहीं हो सका डीएम को प्रतिवेदित

बिहारशरीफ (आससे)। जिले के विभिन्न स्वास्थ्य इकाईयों के आंतरिक परिसर में सफाई के नाम पर आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत एजेंसियों द्वारा करोड़ों का गोलमाल किये जाने का मामला सामने आया है, जिसके बाद जिला पदाधिकारी योगेंद्र सिंह ने चार सदस्यीय जांच दल बनाकर इसकी जांच शुरू करायी है। देखना यह है कि जांच दल के अधिकारी इस जांच का रिपोर्ट समय से दे पाते है या फिर स्वास्थ्य विभाग में पूर्व में हुए कई अन्य जांच की तरह इसे भी लटका कर रखते है।

जिले के सरकारी अस्पतालों की साफ-सफाई की जिम्मेवारी आउटसोर्सिंग के जरिये करायी जाती है। पिछले दिनों जिले में आउटसोर्सिंग की जिम्मेवारी हैंडीकैप्ड रिहैबिलिटेशन वेलफेयर सोसाइटी नारायणपुर, भोजपुर तथा आफताब इंफोकॉम प्राइवेट लिमिटेड बेगूसराय के दी गयी थी। इन एजेंसियों द्वारा अस्पतालों के अधिक क्षेत्रफल के सफाई के नाम पर लगभग दो करोड़ रुपये के अधिक का विपत्र देकर इसका भुगतान लिया गया, लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति को तब इस मामले में हेराफेरी समझ में आया जब इन्हीं अस्पतालों के साफ-सफाई की जिम्मेवारी दी गयी पूर्व संवेदक द्वारा पूर्व के वर्षों में कम क्षेत्रफल का विपत्र भुगतान लिया गया था।

बताया जाता है कि इस मामले में जिला स्वास्थ्य समिति के प्रबंधक ने जिलाधिकारी को प्रतिवेदित कर इस मामले की जांच कराने का आग्रह किया था। जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए अस्पतालों के क्षेत्रफल की जांच एक अभियंत्रण संगठन से करायी जिसमें मामला सामने आया कि भवन प्रमंडल नालंदा द्वारा आउटसोर्सिंग एजेंसी से तालमेल कर अस्पतालों के क्षेत्रफल से काफी अधिक क्षेत्रफल की नापी दिखाकर रिपोर्ट दी गयी और इसी के आड़ में आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा लगभग दो करोड़ से अधिक रुपये का भुगतान लिया गया।

इसके बाद जिला स्वास्थ्य समिति के सदस्य सचिव सह सिविल सर्जन तथा जिला कार्य प्रबंधक ने सदर अस्पताल बिहारशरीफ के अधीक्षक, उपाधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल हिलसा एवं राजगीर के उपाधीक्षक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावे प्राचार्य एएनएम स्कूल इस्लामपुर और बिहारशरीफ को 07 जून को पत्र लिखकर आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत एजेंसी के भुगतान पर रोक लगाने का पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि आंतरिक परिसर का किये गये मापी के आधार पर भुगतान हो रहा है।

पूर्व में नालंदा भवन प्रमंडल बिहारशरीफ द्वारा आंतरिक परिसर का किये गये मापी प्रतिवेदन एवं स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन बिहारशरीफ द्वारा आंतरिक परिसर का दिये गये मापी प्रतिवेदन में काफी अंतर है। वस्तुस्थिति के आलोक में दोनों आउटसोर्सिंग एजेंसी के भुगतान पर रोक लगायी जाती है।

मामला जिला पदाधिकारी के संज्ञान में पहुंचा, जिसके बाद जिला पदाधिकारी ने आदेश निर्गत किया जिसमें कहा गया है कि आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत एजेंसी का भुगतान नालंदा भवन प्रमंडल द्वारा जिले के विभिन्न स्वास्थ्य इकाईयों के आंतरिक परिसर का किये गये नापी के आधार पर हो रहा है, जबकि स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन कार्य प्रमंडल बिहारशरीफ द्वारा आंतरिक परिसर का किये गये नापी प्रतिवेदन में काफी अंतर है। ऐसे स्थिति में आउटसोर्सिंग के विपत्रों का भुगतान करना उचित नहीं होता।

इस आलोक में नालंदा भवन प्रमंडल बिहारशरीफ द्वारा आंतरिक परिसर के किये गये नापी प्रतिवेदन एवं स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन बिहारशरीफ द्वारा किये गये नापी प्रतिवेदन की जांच हेतु उप विकास आयुक्त नालंदा की अध्यक्षता में जांच दल का गठन किया जाता है, जिसके सदस्य के रूप में वरीय उप समाहर्ता किशन कुमार, पथ प्रमंडल हिलसा के कार्यपालक अभियंता, एनएच 1 बिहारशरीफ के कार्यपालक अभियंता को शामिल किया गया है। जांच कमेटी को एक सप्ताह के अंदर अधोहस्ताक्षरी को प्रतिवेदन देना है।

विडंबना तो यह है कि जिलाधिकारी का यह आदेश 10 जून 2021 को निर्गत हुआ। इस हिसाब से 17 जून तक इसका प्रतिवेदन समर्पित किया जाना था, लेकिन 25 जून तक भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जांच दल पर संदेह की उंगलियां उठने लगी है। वजह यह है कि पूर्व में भी सदर अस्पताल में कभी कैंटीन आवंटन तो कभी अन्य मामलों में जिलाधिकारी द्वारा जांच का निर्देश दिया गया था, लेकिन जांच प्रतिवेदन समर्पित होने के पूर्व इसके लिए दोषी रहे अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो गये। कहीं इस बार भी करोड़ों के घोटाला मामले में जांच की फाइलें जांच दल के पास दबकर दम ना तोड़ दे।

सूत्रों की मानें तो इस मामले मे आउटसोर्सिंग से संबद्ध दोनों एजेंसियों पर कार्रवाई की गाज तो गिरनी तय ही है। गलत मापी देने के मामले में भवन प्रमंडल बिहारशरीफ के कनीय अभियंता, सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता पर भी कार्रवाई की गाज गिरेगी। क्योंकि जो नापी का प्रतिवेदन दिया गया था, उसपर इन तीन अधिकारियों का हस्ताक्षर है।