पटना

बिहारशरीफ: सरकार के आदेश के बाद शाम सात बजे स्वतः लोग बंद करने लगते हैं दुकानों का शटर


  • पहले शैक्षणिक संस्थान की बंदी और फिर शाम सात बजे दुकान बंद और धार्मिक स्थलों में तालाबंदी की घोषणा से अचानक बाजार में छायी मंदी
  • भले ही सरकार लॉकडाउन का ना दी हो संकेत लेकिन लोग स्वतः इससे निबटने की तैयारी में खरीदारी से होते दिख रहे हैं दूर

बिहारशरीफ (आससे)। निश्चित तौर पर कोरोना के केस बढ़ने के साथ ही संकट बढ़ा है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये गाइडलाइन का प्रभाव बाजारों में दिखने लगा है। स्थिति यह है कि बाजारों में बिक्री गिर गयी है। व्यवसायी परेशान है। हालात यही रही तो कोरोना से चाहे जितनी भी मौत हो लेकिन रोजगार के अभाव में लोग जरूर मरेंगे।

कोरोना के दूसरे दौर को लेकर बिहार सरकार भी गंभीर है। पहले स्कूल कॉलेजों में छुट्टी हुई। इसका असर ना केवल स्कूल, कॉलेज पर पड़ा बल्कि लोगों के बीच यह भ्रांति फैलने लगी कि किसी भी वक्त लॉकडाउन हो सकता है। और यही वजह रही कि बाजार धड़ाम सा गिरा। खरीदारों की भीड़ काफी कम गयी। जहां किराना आदि दुकानों की बिक्री ठीक-ठाक चल रही है वहीं अन्य सामग्रियों की बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन नहीं लगाने की बात कही थी लेकिन पिछले बार जिस तरह से लॉकडाउन हुआ उससे लोग यह स्वयं ही आकलन करने लगे है कि जल्द ही लॉकडाउन होगा। हालांकि विद्यालय बंद के आदेश के दो दिन बाद बाजार फिर से रफ़्फ़तार पकड़ने लगी थी। शुक्रवार को बाजार रास्ते पर चल पड़ा था, लेकिन अचानक उसी दिन सरकार ने निर्णय लिया कि शाम सात बजे के बाद दुकान बंद हो जायेगी। धार्मिक स्थलों में ताला लगेगा। सरकार के इस घोषणा के साथ हीं अचानक बाजार में मंदी छा गयी।

शनिवार को शहर के कई दुकानों की स्थिति यह रही कि बोहनी पर भी आफत रही। रविवार को कई तरह के दुकान बंद रहते है लेकिन जो खुले भी वहां ग्राहक कम दिखे। वजह साफ है लोग यह सोचने पर विवश हो चुके है कि कभी भी लॉकडाउन लग सकता है। और अगर गलती से लॉकडाउन हुआ तो लोग आने वाले दिनों में जीवन यापन चलाने के लिए आवश्यक सामग्री हेतु अपनी तैयारियां कर रहे है ताकि काम के अभाव में खाने के लाले न पड़े। हालांकि राज्य सरकार ने किसी तरह के लॉकडाउन की अभी तक ना तो घोषणा की है और ना ही संकेत दी है।

शाम सात बजे के बाजार बंदी के आदेश के बाद शनिवार को पहले दिन ही शहर की बाजारें सात बजे के पूर्व ही बंद होनी शुरू हो गयी। रविवार को भी लोग स्वतः ही दुकान के शटर सात बजे के पूर्व ही गिराते दिखे। निश्चित तौर पर आम लोगों में भी कोरोना के खतरे का भय है, लेकिन रोजी-रोटी की समस्या भी कोरोना से कम खतरनाक नहीं दिख रही है।

ऐसे में लोग बाजार की मंदी से बुरी तरह परेशान है। छोटे-छोटे दुकानदारों का तो अभी से ही हालत खराब होने लगी है। खासकर सौंदर्य प्रसाधन, कपड़ा, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, जूता-चप्पल जैसे सामग्री की दुकानों पर सरकार द्वारा शाम सात बजे बंदी का प्रतिकूल असर पड़ना शुरू हो गया है।