पटना

बीपीएससी की परीक्षा में जहानाबाद की सीमा और सुरजीत ने मारी बाजी


अरवल के कुणाल ने भी लहराया अपनी सफ़लता का परचम

जहानाबाद। गर रोशनी हो खुदा को मंजूर, तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं। इस वाक्य को जहानाबाद व अरवल के छात्रों ने चरितार्थ कर दिखाया है। बीपीएससी की 64वीं परीक्षा में इन सफ़ल अभ्यर्थियों की कहानी दूसरों के लिए निसंदेह प्रेरणादायक है। घर-परिवार की आर्थिक स्तिथि और जिम्मेवारियों के साथ बीपीएससी जैसे प्रतियोगी परीक्षा में सफ़लता प्राप्त करना इतना आसान भी नहीं है।

सीमा ने बच्चे की देखभाल करते हुए की तैयारियां

जहानाबाद जिले के बेमभई गांव की बेटी सीमा ने सूबे की प्रतिष्ठित 64वीं बिहार लोक सेवा आयोग की संयुक्त परीक्षा में 182वीं रैंक लाकर न सिर्फ अपना और अपने परिवार वालों का बल्कि जिले का नाम भी रौशन किया है। शादी के छह साल बाद बीपीएससी की परीक्षा में 182वीं रैंक हासिल कर सीमा को ग्रामीण विकास पदाधिाकारी के तौर पर चयनित किया गया है।

रांची के डीएवी स्कूल से मैट्रिक और संत जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई के बाद बेंगलुरु से एमबीए के बाद प्राइवेट जॉब कर रही थीं। शादी के बाद प्रशासनिक सेवा की ओर सीमा का रुझान बढ़ा और नौकरी छोड़ उन्होंने तैयारी शुरू कर दी। गोद में बच्चे की देखभाल करते हुए प्रशासनिक सेवा की तैयारी उन्होंने अपने छोटे भाई भारतीय वन सेवा के अधिकारी के मार्गदर्शन में पूर्ण किया। इनके बेटे की उम्र मात्र छह साल है। वहीं सीमा के पति रामप्रवेश राय प्रशासनिक सेवा में हैं। सीमा के पिता कैलाश प्रसाद पुलिस सेवा से अवकाश ग्रहण कर चुके हैं।

स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र ने अपने दादा के सपनों को किया पूरा

जहानाबाद के चर्चित स्वंतंत्रता सेनानी बद्री नारायण सिंह के पौत्र सरदार सुरजीत सिंह ने बीपीएससी में सफ़लता हासिल कर इलाके का नाम रोशन किया है। नगर परिषद क्षेत्र के बभना निवासी सुरजीत फि़लहाल भारतीय वायु सेना में महाराष्ट्र में कार्यरत हैं। उन्होंने अपने दादा के सपनों को पूरा करते हुए आज इस मुकाम को हासिल किया है। सुरजीत का कहना है कि बचपन में दादाजी हमेशा प्रशासनिक सेवा में जाकर लोगों की मदद करने की नसीहत देते थे। उनकी इस बात को अपना लक्ष्य बनाते हुए हमने यह सफ़लता हासिल की है। हालांकि अब स्वतंत्रता सेनानी बद्री नारायण सिंह इस दुनिया में नहीं है। लेकिन सुरजीत के पिता सेवानिवृत्त नपकर्मी सरदार अरविंद सिंह अपने बेटे की इस सफ़लता पर फ़ूले नहीं समा रहे हैं। इधर उनके घरों में बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है।

अरवल के कुणाल ने 538वां रैंक हासिल कर लहराया परचम

अरवल जिले के कलेर प्रखंड क्षेत्र के नाथ खरसा गाँव वेंकटेश शर्मा के पुत्र किशोर कुणाल ने 538वां रैंक लाकर अपना और अपने जिले का नाम रौशन किया है। उन्होंने 2009 में बिहार बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा दी थी और 79 फ़ीसदी लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वही इंटर की परीक्षा शिव देवी साव महाविद्यालय कलेर 73 फ़ीसदी अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान हासिल किया था। स्नातक में बीटेक करने के लिए मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट इलाहाबाद चले गए और 76 फ़ीसदी अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया।

वहीं बीपीएससी में अपनी परचम लहरा कर अपने माता पिता और गांव समेत जिले का नाम रोशन किया और सप्लाई इंस्पेक्टर के पद पर 538वां रैंक हासिल की। यह अपने पिता एवं परिवार को रोल मॉडल के रूप में मानते हैं। कुणाल किशोर ने बताया कि परिश्रम से कभी हार नहीं मानना चाहिए। कठिन परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है। उन्होंने बताया कि शुरुआती प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई गांव में रहकर की। पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन उन्होंने मुझे कभी महसूस नहीं होने दिया और मेरे पढ़ाई लिखाई में गरीबी बीच में नहीं आई।