पटना

बेगूसराय: कार्ड स्टूडेंट का और राशि क्रेडिट फर्जी कॉलेज को, थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी ने स्थल पर कोई जाँच नहीं की


      • कागज पर कॉलेज, एक वर्ष बाद हुआ मामले का खुलासा
      • पौने दो करोड़ रुपये का हुआ घोटाला

बेगूसराय (आससे)। ”क्या खूब चकमा दे गए जनाब खुले बाजार में। सरेआम गबन कर गए, जरा ठहर और देख ले इनकी भी नुमाइशे गरीब और मजबूर इंसान आज भी मिल जाएंगे सड़क के किनारे”। शायद उक्त पंक्ति उन पर सटीक बैठता है जो सरकार की आंखों में धूल झोंक कर मोटी रकम का गबन कर जाते हैं और सरकार प्राथमिकी दर्ज करवा कर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती है। बेसहारे और मजबूर इंसान आज भी अपनी हक-हकूक की लड़ाई के लिए लड़ते रह जाते हैं और चालबाज सरकारी पैसे को डकारते रहते हैं।

कुछ ऐसा ही मामला बिहार के बेगूसराय जिले के भगवानपुर प्रखंड के संजात से जुड़ा हुआ है। बताते चलें कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को ऐसा पलीता लगाया कि पदाधिकारी भी हैरान हो गये। ना तो छात्र का पता है और ना ही शिक्षक और ना ही कॉलेज का अता पता है, सभी कागज पर ही है। या यूं कहे कि धरातल पर कुछ भी नहीं है, लेकिन कागज की मायाजाल में सब कुछ उलझी हुई है। समस्तीपुर जिले निवासी मोहम्मद फैजुद्दीन ने सरकार को चूना लगाते हुए एक करोड़ 74 लाख 82 हजार चार सो ₹ 80 का गबन कर गए।

बताते चलें कि फैजुद्दीन ने भगवानपुर प्रखंड के संजात में मंडन मिश्र संस्कृत कॉलेज की स्थापना कागज पर ही कर डाली। और, सत्र 2019 और 22 में जिले के 84 छात्र-छात्राओं का नामांकन फार्मेसी, पॉलिटेक्निक, जीएनएम जैसे कई तकनीकी शिक्षा में कागज पर ही ले लिया। ये आंकड़े तो सिर्फ बेगूसराय के है। सूत्रों की माने तो अन्य जिले के भी कुछ छत्रों के नाम है। जो कि जाँच का विषय है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत एक करोड़ 74 लाख 82 हजार ₹ 480 प्राप्त कर लिए।

मामला का खुलासा तब हुआ जब मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह प्रबंध निदेशक बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के द्वारा डॉ मंडन मिश्र संस्कृत कॉलेज संजत बेगूसराय के 16 छात्र-छात्राओं के जांच करवाया तो पता चला कि छात्र है ही नहीं और ना ही कॉलेज का अता पता है। जबकि 84 छात्रों की राशि कॉलेज के निदेशक फैजुद्दीन के कॉलेज के खाते में चला गया है। औऱ, राशि का गबन कर लिया है।

इस संदर्भ में अपर सचिव शिक्षा विभाग पटना को पत्र मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी व प्रबंध निदेशक बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड पटना ने पत्रांक-38, दिनांक 4 मार्च 2020 के माध्यम से सूचित किया गया। 17 मार्च 2020 को शिक्षा विभाग बिहार सरकार ने जिला पदाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा को पत्र लिखा। तदोपरांत जिला पदाधिकारी का पत्रांक 683 दिनांक 18 मार्च 2020 को डीपीओ योजना लेखा को प्राथमिकी दर्ज करवाने को कहा। 18 मार्च 2020 को ही भगवानपुर थाना में कांड संख्या 57/20 दर्ज डीपीओ के द्वारा करवाया गया।

किसी भी कॉलेज को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की राशि तब दी जाती है जब थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी के द्वारा जांच की जाती है। गलती की शुरुआत पोर्टल पर से हुई है। बताते चलें कि डॉ मंडन मिश्र संस्कृत कॉलेज का नाम पोर्टल पर दर्ज करवा लिया गया। जिसका नाम पोर्टल के लिस्ट में रहता है तो स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड का लाभ मिल सकता है। इसके बाद सारे घोटालों का कारोबार शुरू हुआ। थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी ने जब स्थलीय जांच करने चला तो बिना स्थल पर गए ही सभी दस्तावेज पर मुहर लगा दी। बिना स्थलीय जांच का निरीक्षण किए ही सभी दस्तावेज को सही ठहरा दिया।

सूत्रों की माने तो फैजुद्दीन के द्वारा पटना से चली टीम को बख्तियारपुर के निकट ही थर्ड पार्टी वेरीफिकेशन एजेंसी की टीम को मछली भात भरपेट खिलाया गया। इसी भोजन के उपरांत सभी जांच पूरे हो गए। ज्ञात हो कि एक छात्र को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ लेने के लिए काफी दौड़ना पड़ता है या यूं कहें कि विभिन्न चरणों की जांच के बाद ही स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का लाभ छात्रों को मिल पाता है।

अब सवाल उठता है कि राज्य में एक करोड़ 74 लाख 82 हजार 480 रुपए का गबन हो गया। लेकिन प्राथमिकी दर्ज करवाकर फैजुद्दीन को घूमने के लिए छोड़ दिया गया। सूत्रों की माने तो इसी कॉलेज से जुड़े एक साथी और भी है जो कि इस गोरखधंधे में संलिप्त है। लगभग 16 माह बीतने चले लेकिन कार्रवाई नगण्य ही रही है। जिला प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार फैजुद्दीन की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। इस तरह का रैकेट जिले में शिक्षा के नाम पर शिक्षा माफिया के द्वारा चलाए जा रहा है तो उस पर अंकुश क्यों नहीं लगाया गया? कार्रवाई कुछ नहीं होना कई सवाल खड़ा कर रहा है।

वहीं थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी को भी पार्टी बनाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार के द्वारा जो राशि थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी के ऊपर खर्च की जाती है उनकी उक्त राशि को रोक दी गई है। इसमें थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन एजेंसी की ही मिलीभगत रही है इसी की लापरवाही की वजह से सरकारी रुपयों का गबन हुआ है। अब देखना है कि कब फैजुद्दीन पर कार्रवाई होती है अगर कार्रवाई नहीं हुई तो शिक्षा माफियाओं का मनोबल ऐसे ही जिले में बढ़ते रहेंगे और कागजों पर ही कॉलेज चलते रहेंगे।