पटना

बेगूसराय: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने मांगा समग्र शिक्षा अभियान से 14 करोड़ रुपये का हिसाब


बेगूसराय (आससे)। विद्यालय की मरम्मति पेयजल, शौचालय, साफ-सफाई को लेकर सरकार द्वारा दी जाने वाली पिछले चार वित्तीय वर्श की 14 करोड़ राशि का अबतक हिसाब-किताब शिक्षा विभाग के पास नहीं है। जिसको लेकर अब शिक्षा विभाग के बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने इसे गंभीरता से लेते हुए डीपीओ एसएसए से 15 फरवरी तक उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने को कहा है। इसी को लेकर अट्ठारह बीआरसी केंद्र पर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने को लेकर कैंप लगाया गया।

बताते चलें कि दो तरह की ग्रांट योजना होते हैं जिसमें रेकरिंग एवं नन रेकरिंग योजना के तहत 5 करोड़ 86 लाख रुपये विद्यालयों को विकास मत योजना के तहत वार्षिक ग्रांट दी गई थी इन्हीं ग्रांट योजना का लेखा-जोखा की मांग की गई जिसके तहत 2 करोड़ 65 लाख रुपये की उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा की गई है। शेष बचे राशि की उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया है। कुछ ऐसे भी विद्यालय थे जिनके पास सही तरह की उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं लेकर गए थे जिसकी वजह से उसे वापस भी कर दी गई और उन्हें जल्द से जल्द जमा करने का आदेश भी दिया गया। अगर समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र बिहार शिक्षा परियोजना परिषद दूसरी किस्त नहीं जारी करेगी इसी को लेकर समर्थ शिक्षा अभियान ने कमर कसते हुए सभी विद्यालय प्रधान से उपयोगिता प्रमाण पत्र ससमय में जमा करने को कहा है।

मालूम हो कि 2017-18 से लेकर 2020-21 तक पिछले चार साल में समग्र शिक्षा अभियान की 14 करोड़ की राशि का हिसाब जिला से नहीं दिया गया है। जनकारी के अनुसार जिले में 14 करोड़ में केवल विद्यालय ग्रांट का 5 करोड़ 86 लाख की राशि का उपयोगिता अबतक नहीं जमा किया गया है। इसके अलावे 6 करोड़ सिविल मामले की राशि है। जबकि दो करोड़ अन्य मद की राशि है, जिसका उपयोगिता विद्यालय से अबतक जमा नहीं किया गया है।

115 विद्यालय ऐसा जहां एक ही भवन में दो विद्यालय चलता है जिसमें कुछ विद्यालय ऐसे विद्यालय हैं जो विद्यालय शिफ्ट किए हैं उन्हें भी ग्रांट मिला है और जिन्हें पूर्व से मिलता रहा है उन्हें भी मिली है अब सवाल उठता है कि एक ही विद्यालय में चलने वाले दो विद्यालय दो ग्रांट का लाभ कैसे लिए है। मालूम हो कि राशि खर्च होने हिसाब नहीं देने के मामले में किन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जातई थी। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने बिहार शिक्षा परियोजना परिशद ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी जिले से 15 फरवरी तक उपयोगिता प्रमाण पत्र मांग है।

मालूम हो कि स्कूल की मरम्मति के लिए विभाग से राशि तो दी जाती है कि लेकिन वह इतनी कम होती है कि उससे एक कमरे की भी मरम्मति नहीं हो सकती है। जानकारी के अनुसार जिस स्कूल में बच्चों की संख्या एक हजार होती है उस स्कूल को एक लाख, जहां 500 बच्चे की संख्या होती है उसे 50 हजार जबकि इससे कम बच्चों की संख्या वाले स्कूल को 25 हजार दिया जाता है। हालांकि इस राशि में भी 10 प्रतिशत राशि स्कूल में पेयजल, शौचालय, साफ-सफाई के लिए रखना होता है। इसके बाद बचा रकम विद्यालय की मरम्मति के लिए होता है।