Post Views: 1,020 हृदयनारायण दीक्षित मनुष्य आनन्द अभीप्सु है। आनन्दके तमाम उपकरण प्रकृतिमें हैं। वह प्राकृतिक हैं। अनेक उपकरण समाजमें भी हैं और वह सांस्कृतिक हैं। समाज अपने आनन्दके लिए अनेक संस्थाएं बनाते हैं। राजव्यवस्था समाजकी सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। एक विशेष भूखण्डमें रहनेवाले लोगोंकी एक जीवनशैली होती है। वह लोग अपनी संस्कृति गढ़ते हैं। […]
Post Views: 516 आर.डी. सत्येन्द्र कुमार यह दारूण रूपसे दुखद है कि भारतका लैंगिक अनुपात बेहद लडख़ड़ा गया है और इसमें सुधारके कतई कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। पुरुषोंकी तुलनामें यहां महिलाओंकी आबादीमें भारी कमी दर्ज हुई है। फिलहाल दुनियामें पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें लिंगानुपात भारतके मुकाबले खराब है लेकिन इस […]