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भारतीय खुदरा बाजार को 2021 की पहली छमाहीमें कोविड- पूर्व स्तरके करीब पहुंचनेकी उम्मीद


नयी दिल्ली। दुनिया के सबसे आकर्षक खुदरा बाजारों में से एक भारतीय खुदरा बाजार इस साल वर्चस्व के लिये अरबपतियों के संघर्ष से लेकर कोरोना वायरस महामारी के कारण ऑनलाइन खरीदारी में तेजी तक का गवाह बना। करीब एक हजार अरब डॉलर का भारतीय खुदरा बाजार नये साल में उम्मीद कर रहा है कि वह साल की पहली छमाही में कोविड से पहले के स्तर का 85 प्रतिशत कारोबार हासिल कर लेगा। यह साल (वर्ष 2020) भारतीय खुदरा बाजार के लिये तबाहियों से भरा रहा। इस साल को खुदरा बाजार में दबदबे के लिये दुनिया के शीर्ष अमीर व्यक्तियों जेफ बेजोस और मुकेश अंबानी की खींचतान के लिये भी याद किया जायेगा। भारत के खुदरा बाजार के 2025 तक 1,300 अरब डालर तक पहुंच जाने का अनुमान है। इस संघर्ष की शुरुआत अगस्त में तब हुई, जब अंबानी की रिलायंस जियो ने देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा कंपनी फ्युचर रिटेल को 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने का समझौता किया। जेफ बेजोस की अमेजन ने एक साल पहले ही फ्युचर रिटेल में अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। इसके बाद अमेजन और जियो के बीच खींचतान शुरू हो गयी, जो अदालतों और मध्यस्थता पंचाटों के दरवाजे तक पहुंच चुकी है। इसका परिणाम आने वाले वर्षों के लिये भारत के खुदरा परिदृश्य को आकार दे सकता है। इसके अलावा, 854 अरब डॉलर (करीब 63 लाख करोड़ रुपये) के भारतीय खुदरा क्षेत्र को उम्मीद है कि 2021 की पहली छमाही व्यापार को कोविड- पूर्व के सामान्य स्तर के कुछ करीब लायेगी। हालांकि, कुछ कंपनियों को लगता है कि अपरंपरागत समाधान और सरकारी समर्थन के बिना पुनरुद्धार संभव नहीं होगा। बंद दुकानें, महीनों के लिये शून्य राजस्व, किराया देने में असमर्थता और कुछ के लिये कार्यशील पूंजी का संघर्ष तो कुछ के लिये मांग में अचानक आयी भारी तेजी से जूझने की जद्दोजहद व आपूर्ति पक्ष के अवरोध, भारतीय खुदरा क्षेत्र के लिये 2020 की कहानी कोरोना वायरस महामारी के साये में तबाहियों से भरा रहा। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कुमार राजगोपालन ने बताया, ‘महामारी ने खुदरा विक्रेताओं को सरकारी कार्रवाई के दृष्टिकोण से आवश्यक और गैर-आवश्यक नामक एक अवधारणा सिखाई। परिधान, आभूषण, जूते और सीडीआईटी (उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्यूरेबल्स, आईटी और टेलीफोन) जैसी अन्य गैर-आवश्यक श्रेणियों को लॉकडाउन के दौरान 100 प्रतिशत नुकसान हुआ, क्योंकि सभी दुकानों को बंद कर दिया गया था। राजगोपालन ने कहा कि आवश्यक श्रेणी की कंपनियों को भी एक अलग तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ये चुनौतियां मांग में आयी अचानक तेजी का सामना करना, आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों का सामना करना, तरलता सुनिश्चित करना, सुरक्षा मानकों को बनाये रखने के लिये स्टोर संचालन को प्रबंधित करना, कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना और कमी से जूझना आदि शामिल रहे। उन्होंने कहा कि 2021 की शुरुआत बाजार में संभावित टीकों के साथ हो रही है। ऐसे में बड़ी व आधुनिक खुदरा कंपनियों और ऑफलाइन खुदरा स्टोर सावधानी के साथ आशावादी हैं। वे व्यापार के पूर्व कोविड स्तर पर पहुंचने की आशा करते हैं और इसके लिये डिजिटल संसाधनों को बेहतर बना रहे हैं। स्पेंसर एंड नेचर्स बास्केट के प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं सीईओ देवेंद्र चावला ने कहा, ”हम आने वाले वर्ष को लेकर बहुत आशान्वित हैं, क्योंकि मांग उठने और आपूर्ति की कमी दूर हो रही है। हम एक अच्छे 2021 की उम्मीद कर रहे हैं।ÓÓ लॉट्स होलसेल सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक तनित च्यारवनोंट ने कहा कि रिटेल क्षेत्र ने 2020 में तेजी से बदलाव किया है। इसके परिणामस्वरूप अगले साल बाजार में अपने स्वरूप में लौटने और ऊपर की ओर झुकाव के साथ सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।