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आईटीएटीने टाटा समूहके न्यासों का कर-छूटका दर्जा रखा कायम


नयी दिल्ली। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने टाटा समूह के तीन न्यासों (ट्रस्ट) का कर- छूट का दर्जा कायम रखा है। न्यायाधिकरण ने आयकर विभाग के उस आदेशको खारिज कर दिया है, जिसमें इस आधार पर न्यासों के कर छूट वाला दर्जा समाप्त करनेकी चेतावनी दी गई थी कि इन न्यासों के पास टाटा संस के शेयर हैं। इसके साथ ही आईटीएटी ने टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री द्वारा समूह प्रमुखके पदसे हटनेके बाद आयकर विभाग को दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए उनकी निंदा की है। आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीपी भट्ट और उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार की मुंबई पीठ ने 28 दिसंबरको तीन अलग-अलग आदेश पारित कर रतन टाटा ट्रस्ट, जेआरडी टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट के कर- मुक्त होने के दर्जे को कायम रखा है। आईटीएटी ने कहा कि आयकर विभाग ने मार्च, 2019 में संशोधित आदेश जारी कर इन तीन न्यासों के करमुक्त होने का दर्जा समाप्त करने की जो बात उठाई थी, उसके पीछे कोई कानूनी आधार नहीं है। तीनों न्यासों के पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आयकर आयुक्त (छूट) (सीआईटी-ई)ने ट्रस्टोंके पास टाटा संसके दशकों पुराने स्वामित्व को पलटनेकी चेतावनी दी थी। उनका आरोप था कि यह इस तरह की शेयर धारिता आयकार कानूनों के खिलाफ है। टाटा ट्रस्टने सीआईटी-ई के दावेको खारिज करते हुए इसके खिलाफ न्यायाधिकरणमें अपील की थी।