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भारी बारिश में गोशाला में ताला लगाकर चले गए कर्मचारी, बाढ़ का पानी भरने से 55 गायों की मौत


राजगढ़,  मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ (Rajgarh) में नदी में उफान से गोशाला में बाढ़ आने से करीब 55 गायों की मौत हो गई। राजगढ़ जिले में हुई भारी वर्षा के कारण बेसहारा मवेशियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। तलेन क्षेत्र में प्रीतम गोशाला के दो कर्मचारी बाढ़ के डर से गोशाला में ताला लगाकर चले गए। इसके बाद यहां उगल नदी का पानी भरने से 55 गाय और बछड़ों की मौत हो गई। बाढ का पानी उतरने पर बुधवार को गोवंश मरे हुए मिले। बात फैली तो गुरवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से सभी शवों को दफनाया। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि तलें तहसील के निद्र खेड़ी गांव में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा सुविधा के कर्मचारियों द्वारा लापरवाही का आरोप लगाने के बाद गोशाला के प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

नदी का जलस्तर घटने के बाद गायों की मौत का पता चला

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में भारी बारिश में कर्मचारी ताला बंद कर गोशाला से चले गए। गोशाला में बाढ़ का पानी भरने से करीब 55 गायों की मौत हो गई। कर्मचारियों ने बाद में गायों के शवों को नदी में फेंक दिया। एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार को नदी में जलस्तर घटने के बाद मौतों का पता चला, जिसके बाद पुलिस और नायब तहसीलदार सौरभ शर्मा मौके पर पहुंचे।

विरोध के लिए विहिप के कार्यकर्ता

तालन थाना प्रभारी उमाशंकर मुकाती ने कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ता भी विरोध-प्रदर्शन के लिए मौके पर पहुंचे और नदी के किनारे मिले शवों को गुरुवार को एक बड़े गड्ढे में दफना दिया गया। अधिकारी ने बताया कि बाद में कार्यकर्ताओं ने संत प्रीतम महाराज और उनके कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद गुरुवार रात इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि गोशाला को बूढ़ी गायों को रखने के लिए सरकार से अनुदान मिल रहा था।

कांग्रेस ने मप्र सरकार पर साधा निशाना

इस बीच, राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने एक ट्वीट में गोशाला की स्थिति के लिए मध्य प्रदेश सरकार की आलोचना की, जिसने खुद को गोभक्त (गोरक्षक) करार दिया।