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भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषणों का सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और चुनाव आयोग से मांगा हिसाब


 

 नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषणों जैसे गंभीर मुद्दे पर केंद्र, राज्यों और चुनाव आयोग तक से सिलसिलेवार हिसाब-किताब मांगा है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव से कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित से मिली जानकारियों की तुलना करें। इन परिस्थितियों में बचाव संबंधी सुझावों, सुधारात्मक और समाधान संबंधी कदम उठाने के लिए सर्वोच्च अदालत के पूर्व दिशा-निर्देशों के पालन का भी जोर दिया है। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।

सभी राज्यों व केंद्र शासित से मिली जानकारियों की तुलना करने का निर्देश

सर्वोच्च अदालत ने नफरत भरे भाषणों और अफवाहों के सौदागरों से जुड़ी याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गृह सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह विभाग से सीधे संपर्क कर तीन हफ्ते में उनसे रिपोर्ट तलब करें और उसे राज्यवार संग्रहित करें। इसके बाद गृह सचिव राज्यवार जानकारियों को छह हफ्ते में कोर्ट के समक्ष पेश करें। जस्टिस एएम खानविल्कर के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इस संबंध में वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख कर कहा कि वह व्यवस्थागत दोष को दूर करें और फालोअप एक्शन भी लागू किया जाएगा।

छह हफ्ते में रिपोर्ट तलब की गई

जस्टिस एएस ओक और जस्टिस पार्डीवाला की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘यह विरोधात्मक’ नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों से भी कहा कि वह दो हफ्ते में गृह सचिव को ब्योरा उपलब्ध कराएं और इस बात को सुनिश्चित करें कि व्यवस्थित तरीके से दिए गए आंकड़ों का संकलन किया जा सके और उसे तय समय में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए। खंडपीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगने के साथ ही कहा कि संबंधित रिट याचिकाओं को लेकर चुनाव आयोग भी तीन हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करे। इस मामले पर अगली सुनवाई छह हफ्ते के बाद होगी।

रिपोर्ट में नफरत भरे 267 भाषणों का उल्लेख

कई राज्यों में भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषण की घटनाओं पर खंडपीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर गृह सचिव अपने हलफनामे में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसलों का भी उल्लेख करें। ऐसी घटनाओं से बचाव, सुधारात्मक कदमों और समाधान के उपायों पर दिए गए दिशा-निर्देशों पर राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए। सुनवाई में केंद्र की ओर से एडीशनल सालिसीटर जनरल केएम नटराज पेश हुए। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि इस दिशा में पहला कदम यह होगा कि सभी राज्य इस विषय में सक्रिय होकर संपूर्ण जानकारी दें और इस दिशा में सुप्त से लेकर सक्रिय राज्यों का रुख स्पष्ट हो। मामले में याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय कानून आयोग की रिपोर्ट में नफरत भरे 267 भाषणों का उल्लेख किया गया है।