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मंत्री पद छोड़ने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने पेश कि‍या ऐसा उदाहरण, हर तरफ हो रही तारीफ


नई दिल्ली। सरकारी बंगले का मोह नहीं छोड़ने वाले नेताओं के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का पद छोड़ने के तत्काल बाद सरकारी आवास खाली करना एक उदाहरण बन सकता है। राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उच्च सदन से रिटायर होने के दूसरे दिन उन्होंने सरकारी बंगला खाली कर दिया और अपने एक छोटे फ्लैट में शिफ्ट हो गए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपने छोटे फ्लैट में शिफ्ट कर प्रस्तुत किया उदाहरण

नकवी की यह पहल इसलिए काबिले गौर है कि सांसद और मंत्री ही नहीं कई शीर्ष स्तर के अधिकारी भी कार्यकाल खत्म होने के बाद लुटियन दिल्ली के सरकारी बंगले में रहने का मोह नहीं छोड़ पाते। इसके लिए वे अनधिकृत रूप से लंबे समय तक कब्जा जमाए रखने के तमाम तौर-तरीके अपनाते हैं। शहरी विकास मंत्रालय को ऐसे लोगों से सरकारी आवास खाली कराने के लिए कई बार अदालत जाना पड़ता है।

8 साल तक मंत्री रहते हुए नहीं किया सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल

नियमानुसार नकवी तीन से छह महीने तक अनुमति हासिल कर सरकारी बंगले में रह सकते थे। फिर भी उन्होंने निजी फ्लैट में जाना जरूरी समझा। नकवी के मंत्रालय से जुड़े लोग बताते हैं कि आठ साल तक केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया। निजी कार से ही आते-जाते रहे। उनकी यह सहजता ही है कि राजनीतिक विरोधी भी उनकी विनम्रता की सराहना करते हैं।

उपराष्ट्रपति और राज्यपाल बनाए जाने का बाजार गर्म

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी की राज्यसभा की सदस्यता पिछले दिनों समाप्त हो रही थी, लेकिन उन्होंने उससे पहले पद से त्यागपत्र दे दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने उनके मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार को संभाल लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के लिए योगदान के लिए उनकी सराहना की थी। उत्तरप्रदेश से भाजपा के कद्दावर नेता रहे मुख्तार अब्बास नकवी को इस बार राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने के बाद से तरह-तरह से कयास लगाए जा रहे हैं। उन्हें उपराष्ट्रपति और राज्यपाल बनाए जाने तक की अटकलों का बाजार अभी तक गर्म है।