मऊ

मऊ में मुख्यमंत्री की जननी सुरक्षा योजना का उठा जनाजा… महिला जिला चिकित्सालय में नहीं हुआ इलाज,जच्चा-बच्चा दोनों की मौत… घर ले जाने को एम्बुलेंस तक नहीं हुई नसीब, ठेले पर शव लादकर ले गये परिजन


  • मऊ।नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के महिला जिला अस्पताल में एक बार फिर इलाज में घोर लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गयी। परिजनों ने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही करने का आरोप लगाया है।घटना की खबर मिलते ही नगर मजिस्ट्रेट और सीएमओ मौके पर पहुंचकर मामले की जांच-पड़ताल में जुट गये।हालांकि महिला जिला चिकित्सालय के लिए यह कोई नयी बात नहीं है।करोड़ों रुपये की लागत से सुरक्षित प्रसव के लिए बनवाये गये इस सरकारी अस्पताल में ऐसे मामले अक्सर देखने-सुनने को मिलते रहते हैं।अधिकांश चिकित्सक और चिकित्सिकाएं अपना-अपना निजी अस्पताल खोल कर बैठे हैं।कहने को जांच तो हर मामले में बैठाई जाती है।लेकिन,ले-देकर लीपापोती कर दी जाती है।जिससे मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
    मिली जानकारी के अनुसार जिला महिला अस्पताल में हिंदी भवन के पास झोपड़पट्टी में रहने वाली सलमा पत्नी गुड्डू 35 वर्ष गर्भवती थी।शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने डिलीवरी के लिए जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां सलमा को मृत बच्चा पैदा हुआ। दूसरे दिन सलमा की हालत बिगड़ने लगी तो चिकित्सक ने रेफर कर दिया जिसके बाद गर्भवती महिला की मौत हो गयी। वहीं, सलमा की सास नूरजहां का आरोप है कि हमने बार-बार बेहतर इलाज करने की मिन्नतें की।लेकिन, सही उपचार न मिलने के कारण सलमा की शनिवार की रात लगभग 8:00 बजे मौत हो गयी। सलमा के पेट में दर्द सहित अन्य परेशानी होने लगी तो जिला महिला अस्पताल की चिकित्सक ने जबरन रेफर कर दिया म।उनकी बहू को खून की कमी थी चिकित्सक ने अस्पताल में खून उपलब्ध न होने की बात कहते हुए सलमा को रेफर कर वार्ड से बाहर कर दिया।सलमा अपने वार्ड से जैसे ही बाहर आयी,उसकी तबीयत और बिगड़ने लगी और अस्पताल के गेट पर पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। सलमा की मौत के बाद भी एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई। अंत में ठेले पर रखकर शव को ले जाना पड़ा।इस घटना से पूरे अस्पताल परिसर में मानवता और मुख्यमंत्री की जननी सुरक्षा योजना का सरेआम जनाजा उठते दिखा। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्याम नारायण दुबे ने बताया कि 3 सितंबर की सुबह सलमा नाम की एक गर्भवती महिला अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। उसका उपचार किया गया था। लेकिन, उसे मृत बच्चा पैदा हुआ। सलमा की नाजुक हालत देख अस्पताल के लोगों ने बेहतर उपचार के लिए आजमगढ़ चिकित्सालय ले जाने के लिए रेफर किया था। मरीज को एंबुलेंस भी दिया जा रहा था लेकिन, परिवार के लोगों ने लेने से इन्कार कर दिया। शनिवार 4 सितंबर की सुबह परिजनों द्वारा दोबारा भर्ती कराया गया। परिजनों ने कहा कि उनकी क्षमता कहीं और ले जाने की नहीं है। हम यहीं इलाज चाहते हैं।उन्होंने कहा कि यदि सलमा की मौत के मामले में जांचोपरान्त लापरवाही का मामला सामने आता है तो इसकी जांच एडिशनल सीएमओ से कराई जाएगी और दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।