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ममता की सर्वदलीय बैठक का भाजपा, कांग्रेस और वाममोर्चा करेंगे बहिष्कार; ISF को नहीं दिया गया न्योता


कोलकाता: बंगाल के स्थापना दिवस की तिथि पोइला बैशाख (बंगाली नव वर्ष) तय करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मंगलवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का भाजपा, वाममोर्चा और कांग्रेस ने बहिष्कार करने का फैसला किया है। वहीं  इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) को न्योता ही नहीं दिया गया है। इस सर्वदलीय बैठक में स्थापन दिवस का दिन के साथ-साथ बंगाल के लिए “राज्य गीत” के रूप में एक गीत के चयन पर भी चर्चा होनी है। भाजपा ने तो तीन दिन पहले ही इस बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी थी। वाममोर्चा के अध्यक्ष व माकपा के कद्दावर नेता बिमान बोस ने सोमवार को मुख्यमंत्री सचिवालय नवान्न को एक पत्र भेजकर माकपा समेत वाममोर्चा के सभी सहयोगियों दलों की बैठक में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त कर दी है।

 

अविभाजित बंगाल को विभाजित करके पश्चिम बंगाल बना

वाममोर्चा अध्यक्ष ने सोमवार को कहा कि अविभाजित बंगाल को विभाजित करके पश्चिम बंगाल बनाया गया था। विभाजन के कारण विस्थापित हुए लाखों लोगों के लिए वह कभी खुशी का क्षण नहीं था। इसलिए हम किसी विशेष दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाने में विश्वास नहीं रखते हैं। इसी तरह हमने राज्यपाल सीवी आनंद बोस के समक्ष भी आपत्ति जताई थी। राज्यपाल बोस इस साल 20 जून को पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस के रूप में एक कार्यक्रम आयोजित किया था।

राज्य सरकार के पास ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य नहीं

बंगाली नववर्ष दिवस को स्थापना दिवस के रूप में मनाने के पीछे अपना तर्क बताते हुए, भाजपा के राज्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि वे इसके खिलाफ हैं क्योंकि राज्य सरकार के फैसले के पीछे कोई वैज्ञानिक या ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्थापना दिवस समारोह के नाम पर लोगों को गुमराह करने की राज्य सरकार की चाल में शामिल नहीं होना चाहते। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि उनकी पार्टी से कोई प्रतिनिधि मंगलवार को होने वाली बैठक में शामिल नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि अगर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बैठक बुलाई गई होती तो हम निश्चित रूप से अपना प्रतिनिधि भेजते। लेकिन मंगलवार की बैठक में प्रतिनिधियों को भेजना समय की बर्बादी है। राज्य विधानसभा में आइएसएफ के एकमात्र प्रतिनिधि नौशाद सिद्दीकी ने कहा कि उन्हें बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है। बैठक में भाग लेना है या नहीं, इस पर निर्णय लेने का सवाल केवल तभी आता है जब मुझे आमंत्रित किया गया होता। उन्होंने कहा कि बिना बुलाए बैठक में जाने का कोई सवाल ही नहीं है।