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- वित्तीय प्रबंधन में बदलाव के साथ लागू होगी पीएम पोषण योजना
- पारदर्शिता के साथ योजना का हू-ब-हू कार्यान्वयन करें: विजय चौधरी
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। केंद्र ने मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदल दिया है। इसे केंद्र ने ‘प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना’ का नाम दिया है। यह योजना वित्तीय प्रबंधन की नयी व्यवस्था के तहत लागू होगी। नयी व्यवस्था ‘सिंगल नोडल एजेंसी’ (एसएनए) की है। यह पूरी व्यवस्था कैशलेस होगी। इसके लिए प्रदेश के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मिड डे मील) की रविवार को यहां अभिलेख भवन में ट्रेनिंग हुई।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इसका उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पोषण योजना (मिड डे मील) का दायरा भी बढऩे वाला है। इसके तहत बच्चों को पौष्टिक नाश्ता देने की भी केंद्र की योजना है। इसके साथ ही आंगनबाड़ी को भी इससे जोड़ा जा रहा है। आंगनबाड़ी में वर्तमान में बच्चों को पोषाहार देने की चल रही योजना समाज कल्याण विभाग के जिम्मे है। बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी भी मिड डे मील से ही जुडऩे वाली है। इसके तहत बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होनी है। हालांकि, इसके लिए एक अधिकारी अलग से होंगे। बावजूद, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारियां और चुनौतियां बढऩे वाली हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री पोषण योजना के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय प्रबंधन की नयी व्यवस्था का प्रशिक्षण अधिकारियों से लेकर प्रधानाध्यापकों तक के लिए जरूरी है।
शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों से लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (मिड डे मील) से कहा कि वित्तीय प्रबंधन की नयी व्यवस्था की बारीकियों को समझें और उसे हू-ब-हू लागू करें। मिड डे मील की नयी व्यवस्था में इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखें कि इसका असर किसी भी तरह से स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था पर नहीं पड़े।
शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि सारी चीजें लागू करेंगे, लेकिन पढ़ाई की कीमत पर नहीं। शिक्षण कार्य को प्रभावित किये बिना अधिकारी इन योजनाओं का पारदर्शिता के साथ हू-ब-हू कार्यान्वयन करें। श्री चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार का भी यह विचार है कि मिड डे मील का कार्यान्वयन स्वयंसेवी संस्थाओं या स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया जाना चाहिये। इस दिशा में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने पहले से काम करना शुरू कर दिया है। इस्कॉन एवं अश्रय पात्र के माध्यम से पटना के 450 स्कूलों में मिड डे मील परोसे जायेंगे। मुजफ्फरपुर एवं जहानाबाद में यह योजना जीविका के माध्यम से कार्यान्वित हो रही है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार ने कहा कि कोरोनाकाल के पहले स्कूलों में 60 से 66 फीसदी बच्चे ही पका-पकाया भोजन खा रहे थे, लेकिन कोरोनाकाल में जब पका-पकाया भोजन के बदले चावल देने की व्यवस्था हुई, तो उसे लेने वाले बच्चों के अभिभावकों की संख्या बढ़ कर 80 फीसदी पर पहुंच गयी। इस पर मंथन करने के साथ ही उन्होंने योजना की नियमित मॉनीटरिंग करने का निर्देश अधिकारियों को दिया।
प्रारंभ में शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चन्द्र झा, जो मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक भी हैं, ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के औचित्य की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में 70,345 स्कूल योजना से आच्छादित हैं। शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ एवं एचडीएफसी बैंक के बिहार एवं झारखंड के हेड संदीप गौतम ने भी अपनी बातें रखीं। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री को प्रतीक चिन्ह एवं चादर से सम्मानित भी किया गया। अपर मुख्यसचिव सहित निदेशक स्तर के सभी अधिकारी सम्मानित किये गये।
इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक मनोज कुमार, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकान्त शास्त्री एवं प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेंद्र प्रसाद सिंह, मध्याह्न भोजन योजना के उपनिदेशक मोतीउर रहमान एवं सहायक निदेशक अजय कुमार झा सहित सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर कला जत्था के कलाकारों में अदालतगंज बालक मध्य विद्यालय के छात्रों द्वारा जन शिक्षा के सहायक निदेशक रमेश चन्द्रा लिखित नाटक की प्रस्तुति की गयी।