पटना

मुजफ्फरपुर: औराई आयुर्वेदिक औषधालय व तिब्बी दवाखाना का मिट रहा नामोनिशान


पहले विधान सभा अध्यक्ष रामदयालू बाबू की देन पर किसी की नजर नहीं, भूमि अतिक्रमित 

औराई (मुजफ्फरपुर)(आससे)। बिहार विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष रामदयालु सिंह की  देन तिब्बी दवाखाना एवं औराई आयुर्वेदिक औषधालय का नामोनिशान मिटा। प्रखंड के आलमपुर सिमरी पंचायत अंतर्गत सिमरी चौक से सटे तिब्बी दवाखाना का स्थापना 14 जुलाई सन 1925  को हुआ था। बिहार विधानसभा के प्रथम स्पीकर रामदयालु बाबू जिस समय जिला परिषद मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष हुआ करते थे। इन्होंने अपने अथक प्रयास से औराई को आयुर्वेदिक औषधालय एवं तिब्बी दवाखाना भेंट स्वरूप दिया। दोनों संस्थान जिला परिषद के भूमि में ही स्थापित है। आयुर्वेदिक औषधालय तो लगभग दो एकड़ एवं तिब्बी दवाखाना आठ कट्ठा में स्थापित है।

उस वक्त अंग्रेजों का शासन काल था, लेकिन कांग्रेस पार्टी भी परिपक्व होने लगी थी। उसी वक्त जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर रामदयालु प्रसाद सिंह थे। इन्होंने औराई के  लोगों की हित को देखते हुए दोनों संस्थान जो कि सैदपुर-औराई-बेनीबाद पीडब्ल्यूडी सड़क के बगल में ही स्थापित किया था। रामदयालु बाबू का उद्देश्य था की नजदीक से लेकर दूधराज के लोग इस औषधालय एवं तिब्बी दवाखाना से उपचार करा सकें।

आयुर्वेदिक औषधालय में  वैद्य जी बैठते थे और  तिब्बी दवाखाना में हकीम साहब बैठते थे। दोनों जगह जड़ी बूटी को पीसकर दबा बनाकर मरीजों में वितरण किया जाता था। तिब्बी दवाखाना में हकीम साहब के साथ मिक्चर मैन समेत पांच कर्मी थे। यह तिब्बी दवाखाना लगभग 1975 तक ठीक-ठाक चला। हकीम साहब की मृत्यु के बाद मिक्चर मैन का तबादला हो गया और यह दवाखाना सदा के लिए बंद हो गया।

समाजसेवी चहुटा निवासी अमरेंद्र सिंह ने बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में औराई प्रखंड क्षेत्र में विकास के अनेकों कार्य एवं प्रमुख संस्थान स्थापित किया गया, लेकिन शासन के अंतिम दौर आते-आते सभी संस्थान धराशाई होने लगा। औराई प्रखंड में तिब्बी दवाखाना सिमरी, आयुर्वेदिक औषधालय औराई, रेड क्रॉस अस्पताल शाही मीनापुर, पशु चिकित्सालय शाही जीवर, खादी भंडार समेत अनेकों पुस्तकालय का नामोनिशान मिट गया।

1980 के बाद इतिहास को खोजने वाला औराई में कोई नहीं रहा। जिस कारण सारे संस्थान आज भूमि होने के बावजूद मृत है। वर्तमान स्थिति यह है कि गर जिला परिषद के पदाधिकारी जागरूक नहीं रहे तो जिला परिषद के सभी भूमि कुछ सालों में अतिक्रमण कर लिया जाएगा। वर्तमान में 25% भूमि आस-पड़ोस के लोगों द्वारा अधिक्रमित कर लिया गया है।