पटना

मौलाना वली रहमानी के अंतिम दीदार को उमड़ पड़े अकीदतमंद


मुंगेर खानकाह में किये गये सुपुर्द-ए-खाक

फुलवारीशरीफ। इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत हजरत मौलाना वली रहमानी सुपुर्द-ए-खाक हो गये। मुंगेर के खानकाह रहमानिया में उन्हें दोपहर 2 बजे दफन किया गया। उनकी आखिरी जियारत (अंतिम दर्शन) के लिए करीब 5 लाख लोगों की भीड़ जुटी थी। सरकारी आदेश के मुताबिक राजकीय सम्मान के साथ हजरत वली रहमानी का अंतिम रस्म अदा करना था, हजरत मौलाना वली रहमानी को खानकाह परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ दफन किया गया।

जनाजे की नमाज के पहले मुंगेर डीएम, डीआईजी और एसपी ने उनके जनाजे पर तिरंगा ओढ़ाया, उसके बाद फूल-माला चढ़ाया, उसके बाद उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया। खानकाह परिसर में ही उन्हें उनके दादा और उनके अब्बा के मजार के पास दफनाया गया। हजरत वली रहमानी की डेड बॉडी पटना से देर रात मुंगेर खानकाह रहमानी पहुंची। उनका जनाजा मुंगेर पहुंचने के बाद उनकी आखिरी जियारत (अंतिम दर्शन) करने के लिए लोगों की ऐसी भीड़ उमड़ी की कोरोना पर अकीदत भारी पड़ गयी।

सडक़ से लेकर खानकाह तक तिल रखने की जगह तक नहीं बची थी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इमारत-ए-शरिया के अमीर-ए-शरियत मौलाना वली रहमानी के अंतिम दीदार को मुंगेर में उनके चाहने वाले अकीदतमंद उमड़ पड़े। लोगों में न कोरोना का भय था और न तेज पर रही धूप की चिंता। उनके चाहने वालों की जुबान पर बस उनके लिए दुआ ही दुआ थी। लोग दुआओं में एक ही बात कह रहे थे-‘परवरदिगार आपको जन्नत में आला मकाम दें। अल्लाह ताला हजरत को जन्नत में मकाम अता करें।’

मौलाना वली रहमानी के अंतिम दीदार को उमड़ पड़े अकीदतमंद

बता दें कि मौलाना हजरत वली रहमान का शनिवार को पटना के पारस अस्पताल में इंतकाल हो गया था। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर मुंगेर ले जाया गया। वली रहमानी का मुंगेर में पैतृक घर है, उनके अंतिम दर्शन को आज सुबह से खानकाह की ओर लोगों का हुजूम उमडऩे लगा था। कोसी, सीमांचल, मिथिलांचल के जिलों से सैकड़ों गाडिय़ां रात में ही पहुंच गयी थीं। इतना ही नहीं, नौका से ही खगडिय़ा, बेगूसराय समेत अन्य जिलों से लोग पहुंच रहे थे।

इतनी भीड़ हो गयी कि खानकाह रहमानी में लंबी लाइन लग गयी। इसके बाद भी कई लोग उनका दीदार नहीं कर पा रहे थ। वे नम आंखों से दुआएं कर रहे थे, लोग एक-दूसरे से कहते नजर आ रहे थे कि रहमानी साहब अपनी तकरीर में हमेशा लोगों की सेवा करने की नसीहत देते थे। जरूरतमंद को भोजन और प्यासे को जल पिलाने को वे बड़ा धर्म का काम बताते थे।

कहते थे कि लोगों की सेवा सभी को करनी चाहिये। तेज धूप और उमड़ते हुए लोगों को देखते हुए खानकाह रहमानी पथ पर युवा शरबत व फलों से सेवा कर रहे थे। सेवा करने में बच्चे, युवा से लेकर बुजुर्ग तक जुटे हुए थे। हालांकि, सुरक्षा को लेकर पुलिस की जिला प्रशासन की ओर से तैनाती की गयी थी।