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यूक्रेन में घुसी रूस की सेना, छह सैनिक भी मारे, अमेरिका ने की एफ-35 की तैनाती


कीव, रायटर। हर बीतते क्षण के साथ यूक्रेन का संकट बढ़ रहा है। अघोषित तौर पर यूक्रेन पर रूस का हमला हो चुका है। रूस के टैंक पूर्वी यूक्रेन के डोनेस्क और लुहांस्क में दाखिल हो चुके हैं और रूसी सैनिक विद्रोहियों के साथ मिलकर यूक्रेन सेना के नियंत्रण वाले इलाके की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान झड़प में छह यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने और कुछ के घायल होने की खबर है। पता चला है कि रूस की योजना स्वतंत्र घोषित किए डोनेस्क और लुहांस्क के उन हिस्सों पर भी कब्जा करने की है जिन पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं था। इसके चलते रूसी सैनिकों का यूक्रेन सेना के साथ टकराव होना तय है। प्रतिबंधों से रूसी सैनिकों के कदम न रुकते देख अमेरिका ने अब क्षेत्र में अत्याधुनिक एफ-35 लड़ाकू विमान और अपाचे अटैक हेलीकाप्टर तैनात करने का फैसला किया है। आठ विमान और 32 हेलीकाप्टर बाल्टिक देशों-एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया में तैनात किए जा रहे हैं।

नाटो देशों का आक्रामक रुख 

नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के इन तीन सदस्य देशों के अतिरिक्त अमेरिका व सहयोगी देश पोलैंड, रोमानिया और हंगरी में भी सैन्य तैनाती बढ़ा रहे हैं। जिन देशों में सैन्य तैनाती बढ़ाई जा रही है वे सभी रूस के पड़ोसी देश हैं। लेकिन इस सबसे बेपरवाह रूस यूक्रेन पर अपना दबाव बढ़ा रहा है। रूस ने बेलारूस में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है और वहां पर अस्थायी सैन्य अस्पताल भी स्थापित कर दिया है। रूस में पहले से ही 30 हजार सैनिक मौजूद हैं। बेलारूस यूक्रेन का पड़ोसी देश है और उसकी सीमा से यूक्रेन की राजधानी कीव की दूरी सिर्फ 75 किलोमीटर है। माना जा रहा है कि रूसी सैनिकों का कीव पर हमला यहीं से होगा।

 

यूक्रेन में आपातस्थिति, रूस पर कड़े प्रतिबंधों की मांग

तेजी से बिगड़ते हालात के बीच यूक्रेन सरकार ने देश में आपातस्थिति लागू कर दी है और जरूरत पड़ने पर देश में कफ्र्यू लगाने की घोषणा की है। राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने रूसी सेना के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों से रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है। लेकिन नाटो में शामिल होने की यूक्रेन की इच्छा में कहीं से भी कमजोरी का भाव प्रतीत नहीं हो रहा है। सरकार ने रूस से टक्कर लेने का संकल्प जाहिर किया है। खतरे को बढ़ता देख देश के सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर सरकार के साथ आ गए हैं। सरकार ने अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए कर कम करने समेत कई कदमों का एलान किया है।