पटना

राजगीर: प्रशासनिक उपेक्षा से कूड़ाघर के रूप में तब्दील हो रहे हैं सार्वजनिक शौचालय


राजगीर (नालंदा)(आससे)। पर्यटक शहर राजगीर को साफ और सुंदर दिकेजीएचने के लिए साठ के दशक में दर्जन से अधिक सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। तब उन सभी सार्वजनिक शौचालयों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा गया था। उसके देखभाल की जिम्मेदारी पीएचइडी को दी गयी थी। लेकिन कालांतर में वह सामुदायिक शौचालय सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया। प्रशासनिक अनदेखी के कारण इनमें कई अतिक्रमण के शिकार हो गए। कई जमीनदोज तो कई कूड़ा घर और गोइठा घर बन गया।

सार्वजनिक शौचालयों की उपेक्षा के कारण शहर में गंदगी भी फैलने लगी और गरीब लोग यत्र तत्र नागरिक मल मूत्र त्यागने के लिए मजबूर होने लगे। बावजूद अधिकारियों की नींद नहीं खुल रही है। यद्यपि राजगीर में हर साल नया इतिहास गढ़ा जा रहा है। राजगीर में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। यह अधिसूचित क्षेत्र समिति से नगर पंचायत और अब नगर परिषद बन गया है। लेकिन पदाधिकारियों के कार्यशैली में अपेक्षित बदलाव नहीं हो रहा है, जिसके कारण समाज उपयोगी सार्वजनिक शौचालय जैसी व्यवस्था दम तोड़ रही है।

हाल में पर्यटक शहर राजगीर में बड़े पैमाने पर विभिन्न स्तरों के शौचालय का निर्माण थोक में कराया गया है। इसमें सामुदायिक शौचालय से लेकर डीलक्स शौचालय तक शामिल है। एक तरफ यहाँ नए-नए शौचालय का निर्माण हो रहा है, तो दूसरी तरफ पुरानी सार्वजनिक शौचालयों की घोर उपेक्षा भी हो रही है। उसे पुनर्जीवित करने की जनप्रतिनिधियों, पीएचइडी और नगर परिषद के पास न तो इच्छा शक्ति है और न ही कोई योजना है।

लिहाजा पुराने शौचालयों की हालत बद से बदतर है। जानकार बताते हैं कि साठ के दशक में बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों को पुनर्जीवित कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ दिया जाए तो आज भी वह नगर के गरीब और कमजोर वर्ग के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। समाजसेवी रमेश कुमार पान, सुरेन्द्र प्रसाद, वार्ड पार्षद श्रवण कुमार, सुबेन्द्र राजवंशी एवं अन्य ने नगर के सभी सार्वजनिक शौचालयों को जनहित में पुनर्जीवित कर उपयोगी बनाने की मांग सरकार से की है।