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राष्ट्र निर्माण को लेकर सरकार हर स्तर पर कर रही है तैयारी: निर्मला सीतारमन


इंदौर, : प्रवासी भारतीय सम्मेलन के अंतिम दिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि भारत काफी आशावादी देश बन चुका है। प्रत्येक क्षेत्र में विकास तेजी से हो रहा है। 1991 के दौरान भारत में ग्लोबलाइजेशन का दौर आया। यहां सभी वस्तुओं के लिए दरवाजे खुल चुके हैं। समय-समय पर नीतियां बदली गई हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से नीति बनाई गई हैं, जिसपर इनपुट या सुझाव की जरूरत है। आपको अधिक जुड़ाव और एकीकरण करने में मदद करने के लिए सरकार आगे आई है।

भविष्य पर है नजर

निर्मला सीतारमन ने कहा कि राष्ट्र निर्माण को लेकर सरकार प्रत्येक स्तर पर तैयारी करने में लगी है। अगले 25 साल को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार काम कर रही है। ताकि भारत भी एक ब्रांड बनकर उभर कर विश्व के सामने आए। देश में मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में कार्य किया जा रहा है। कुछ सालों में स्थितियां बदलेगी। भारत सामान खरीदने के अलावा बेचने की स्थिति में आएगा।

एक जिला एक उत्पाद

वित्त मंत्री सीतारमन ने कहा कि भारत काफी भिन्नताओं वाला देश है। प्रत्येक राज्य की अपनी कुछ खास बात है, जो उसे पूरे देश और विश्व में पहचान दिलाती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार अब वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (एक जिला एक उत्पाद) योजना पर काम कर रही है। इसे लेकर प्रत्येक राज्य को अपने-अपने जिले की एक उत्पाद को बढ़ावा देना होगा।

प्रवासी भारतीय मदद कर सकते हैं

वित्तमंत्री ने कहा कि इसमें प्रवासी भारतीय भी मदद कर सकते हैं। इन उत्पाद को विदेशी बाजार उपलब्ध करवाने के लिए सुझाव दे सकते हैं। जैसे पैकेजिंग, मार्केटिंग, बिक्री सहित अन्य क्षेत्रों में योगदान दे सकते हैं। भारत के स्थानीय उत्पाद को उचित मंच देना होगा। इन उत्पादों की विदेशों में बिक्री बढ़ाकर भारत की अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सकते हैं।

19 देशों में दी वैक्सीन

निर्मला सीतारमन ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए भारत ने कई देशों की मदद की है। संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध करवाई है। करीब 19 देशों में 69 प्रतिशत वैक्सीन भारत ने भेजी है। भारतीय वैक्सीन की बदौलत ही संक्रमण को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि भारत में चिकित्सा सेवाएं बेहतर हो रही हैं। काफी कम कीमतों में उपचार होने लगा है। बीते कुछ सालों में दो मिलियन लोगों ने भारत आकर अपना इलाज करवाया है। इन आंकड़ों को देखते हुए भारत में 78 देशों के लोगों ने उपचार करवाया है। अब मेडिकल टूरिज्म भी यहां बढ़ने लगा है। इसके पीछे असल वजह ये है कि उपचार काफी सस्ता है। महानगरों और टू-टीयर सिटी में बड़े-बड़े अस्पताल खुल गए है, जो गंभीर बीमारियों का उपचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में चिकित्सा और दवाइयों के क्षेत्र में विकास हुआ है। बीमारियों के उपचार के लिए घेरलू फार्मा कंपनियां ही दवाइयां बनाने में लगी हैं, जिन्होंने करीब 80 प्रतिशत बाजार को कवर कर लिया है।