पटना

रूपौली: नल जल योजना धरातल पर टांय-टांय फिस्स


रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। प्रखंड क्षेत्र में चल रहे जल नल योजना संवेदक की लापरवाही से आम लोगों के लिए महज छलावा साबित होकर रह गया है। बता दें कि प्रखंड के रामपुर परिहट,गोड़ियर पट्टी श्रीमाता और लक्ष्मीपुर छर्रापट्टी पंचायत में संवेदक द्वारा कार्य पूरा नहीं किए जाने से पंचायत वासी सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना शुद्ध पेयजल से कोसों मील दूर ही है।

लक्ष्मीपुर छर्रापट्टी पंचायत में खुशी कंस्ट्रक्शन के द्वारा किए जा रहे कार्यों की स्थिति पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रखंड प्रमुख रेखा देवी ने कहा कि बीते डेढ़ वर्ष से उपर बीतने के बाबजूद पंचायत क्षेत्र में सिर्फ बोरिंग कर छोड़ दिया गया है। जबकि खुशी कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यकर्ता पंचायत क्षेत्र में कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं।

ग्रामीणों की सूचना पर जब बोरिंग किए गए स्थल पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ समिति सदस्यों के साथ पहुंची तो बोरिंग स्थल क्षेत्र में उगे जंगल झाड़ियों में ढ़का बोरिंग को देखने मात्र से स्थिति स्पष्ट नजर आ रही थी। जाहिर है कि लोगों में आक्रोश व्याप्त होना लाजिमी है। वही स्थिति गोड़ियर पट्टी श्रीमाता पंचायत के समिति सदस्य बिमल कुमार ने भी बताया।मिली जानकारी के बाद प्रखंड प्रमुख रेखा देवी

समिति सदस्य त्रिवेणी मंडल, प्रमोद मंडल, राजेश तिवारी, नीलम देवी, मीरा देवी आदि के साथ मिलकर स्थिति का जायजा लिया।जबकि रामपुर परिहट पंचायत में जल नल योजना में बरती गई लापरवाही का शिकायत रूपौली प्रखंड के पूर्व भाजपा अध्यक्ष केदारनाथ गुप्ता के द्वारा दिया गया।प्रखंड प्रमुख ने ऐसी स्थिति और लोगों की शिकायत जायज ठहराते हुए कहा कि एक ओर सरकार प्रत्येक घर में नल का जल पहुंचाने की बात करते नहीं थक रही है। वहीं दूसरी ओर करोड़ों रूपये का व्यरा न्यारा कर संवेदक योजना की संवेदनशीलता को ठेंगा दिखाने में मस्त है।

प्रखंड प्रमुख रूपौली रेखा देवी ने किए जा रहे मृतप्राय जल नल योजना की उच्च स्तरीय जांच की मांग जिला प्रशासन से की है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गुजर बसर कर रहे आमजन इस योजना से लाभान्वित हो सके।

वहीं पी.एच.ई.डी. विभाग के कनीय अभियंता सत्य प्रकाश कुमार ने बताया कि जल नल योजना के कार्य की जिम्मेदारी खुशी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने फर्जी बैंक एकाउंट दस्तावेज पेश कर लिया था। जिसे जांचोपरांत अवैध घोषित कर पुनः कार्य की निविदाएं निकाली गई और किसी अन्य को अहर्ता पूर्ण होने के आधार पर योजनाओं को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी सौंपी गई।किन्तु न्यायालय में खुशी कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा पुनः याचिका दायर कर कार्य करने की गुहार लगाई गई है।