सम्पादकीय

रोजगार वृद्धिमें सहायक होगा बजट


प्रह्लाद सबनानी

कोरोना महामारीके समय पूरे विश्वमें ही लाखों लोगोंके रोजगारपर विपरीत प्रभाव पड़ा था। भारत भी इससे अछूता नहीं रह सका था एवं हमारे देशमें भी कई लोगोंके रोजगारपर असर पड़ा। हालांकि छोटी अवधिके लिए इस समस्याको हल करनेके उद्देश्यसे कोरोना कालके दौरान लगभग ८० करोड़ लोगोंको आठ महीनोंतक मुफ्त अनाज, दालें एवं अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी गयी थी। साथ ही करोड़ों परिवारोंको मुफ्त गैस सिलेंडर उपलब्ध कराये गये एवं जन-धन योजनाके अंतर्गत खोले गये करोड़ों महिलाओंके खातोंमें प्रतिमाह पांच सौ रुपये केंद्र सरकार द्वारा जमा किये जाते रहे। करोड़ों किसानोंके खातोंमें भी इस दौरान ६००० रुपये जमा किये गये थे। परंतु बेरोजगारीकी समस्याका लम्बी अवधिके लिए समाधान निकालना बहुत जरूरी है। अत: आवश्यकता इस बातकी अधिक है कि देशमें रोजगारके अधिकसे अधिक नये अवसरोंका सृजन किया जाय। १ फरवरी २०२१ को भारतकी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए संसदमें बजट पेश किया। यह बजट कई विपरीत परिस्थितियोंमें पेश किया गया है। कोरोना महामारीके चलते वित्तीय वर्ष २०२०-२१ में केंद्र सरकारकी अर्थप्राप्तिमें बहुत कमी रही है। जबकि खर्चोंमें कोई कमी नहीं आने दी गयी, ताकि इस महामारीके दौरमें जनताको किसी प्रकारकी तकलीफ महसूस न हो। देशमें तरलताके प्रवाहको लगातार बनाये रखा गया तथा आत्मनिर्भर भारत पैकेजको लागू करते हुए इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्थाके सभी क्षेत्रोंकी भरपूर मदद की गयी। आत्मनिर्भर भारत पैकेजके अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किये गये उपायों सहित, कुल मिलाकर २७.१ लाख करोड़ रुपयेका वित्तीय प्रभाव रहा है, यह सकल घरेलू उत्पादका १३ प्रतिशत है।

इस लिहाजसे यह बजट भी अपने आपमें विशेष बजट ही कहा जायगा। इस बजटके माध्यमसे भरपूर प्रयास किया गया है कि देशमें रोजगारके अधिकसे अधिक नये अवसर सृजित किये जा सकें। सबसे पहले तो वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए ५.५४ लाख करोड़ रुपयेके पूंजीगत खर्चोंका प्रावधान किया गया है। जबकि वित्तीय वर्ष २०२०-२१ में ४.१२ लाख करोड़ रुपयेके पूंजीगत खर्चोंका प्रावधान किया गया था। इस प्रकार वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में पूंजीगत खर्चोंमें ३४.४६ प्रतिशतकी वृद्धि दृष्टिगोचर होगी। इसका सीधा परिणाम देशमें रोजगारके नये अवसरोंके सृजित होनेके रूपमें देखनेको मिलेगा। वित्तीय वर्ष २०२०-२१ में किये गये १३ वादोंपर तेजीसे काम हो रहा है। अगले वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र चुने गये हैं, जिनपर विशेष ध्यान केंद्रित कर तेजीसे काम किया जायगा। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रोंमें शामिल हैं स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छ जलकी व्यवस्था, स्वच्छ भारत, अधोसंरचनाका विकास, गैसकी उपलब्धता आदि। कोरोना महामारीके दौरमें देशमें स्वास्थ्य सेवाओंको प्राथमिकता मिली है और यह जरूरी भी है कि अब देशमें स्वास्थ्य सेवाओंमें सुधार किया जाये। अत: प्रधान मंत्री आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजनाके अंतर्गत प्राथमिक एवं माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल अधोसंरचनाको और भी मजबूत करनेके उद्देश्यसे अगले छह वर्षोंके दौरान ६४,१८० करोड़ रुपये खर्च करनेका प्रावधान किया गया है। हालांकि स्वास्थ्य योजनाओंपर वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में कुल मिलाकर २२३,८४६ करोड़ रुपये खर्च करनेका लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इस मदपर किये जानेवाले कुल खर्चमें १३७ प्रतिशतकी वृद्धि दृष्टिगोचर है।

कोरोना वायरस महामारीको रोकनेके लिए तैयार की गयी वैक्सीनके लिए ३५००० करोड़ रुपयेका प्रावधान किया गया है। यदि आवश्यकता होगी तो और फंड भी उपलब्ध कराया जायगा। स्वास्थ्य सेवाओंमें सुधारके साथ ही ग्रामीण एवं शहरी इलाकोंमें समस्त परिवारोंको स्वच्छ पानीकी उपलब्धता सुनिश्चित करनेके उद्देश्यसे इस मदपर अगले पांच वर्षोंके दौरान २.८७ लाख करोड़ रुपये खर्च किये जानेका प्रावधान किया गया है। इस कार्यको गति देनेके उद्देश्यसे शीघ्र ही शहरी जल जीवन मिशन भी प्रारम्भ किया जा रहा है। स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारतके नारेको साकार करनेके उद्देश्यसे शहरी स्वच्छ भारत मिशन-२ को भी प्रारम्भ किया जा रहा है। इसके लिए १.४२ लाख करोड़ रुपये खर्च करनेकी योजना बनायी गयी है।

देशमें अधोसंरचनाको एक लेवल और आगे ले जानेके लिए नये-नये रोड विकसित करनेके साथ ही रोड, रेलवे एवं पोर्टको आपसमें जोडऩेका प्रयास भी किया जा रहा है। देशमें ही नदियोंको जल मार्गके रूपमें विकसित किये जानेके भी प्रयास किये जा रहे हैं क्योंकि जल मार्ग यातायातका एक बहुत ही सुगम एवं सस्ता साधन है। अत: देशमें अधोसंरचना विकसित करनेके उद्देश्यसे रोड मंत्रालयको वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिये रुपये १.१८ लाख करोड़ रुपयेका आवंटन किया गया है। वित्तीय वर्ष २०२०-२१ में राष्ट्रीय राजमार्गके १३००० किलोमीटर रोड बनाये जानेके लिए टेंडर पास किये गये थे इसके अतिरिक्त वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में भी राष्ट्रीय राजमार्गके ८५०० किलोमीटर नये रोडका निर्माण किये जानेका प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार रेल मंत्रालयको भी वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए १.१ लाख करोड़ रुपयेका आवंटन किया गया है। दिसम्बर २०२३ के अंततक देशमें रेलवेकी समस्त ब्रॉडगेज लाइनका सौ प्रतिशत विद्युतीकरण कार्य पूर्ण कर लिया जायगा एवं २७ नगरोंमें मेट्रो रेल लाइन उपलब्ध करा दी जायगी। देशमें कुछ पोट्र्सका निजीकरण किये जानेकी योजना भी बनायी गयी है।

सौ नये शहरोंमें गैस वितरण, पाइप लाइनके जरिये किये जानेकी योजना है। साथ ही उज्ज्वला योजनाके अंतर्गत एक करोड़ गैसके नये कनेक्शन योग्य परिवारोंको उपलब्ध कराये जायेंगे। राष्ट्रीय अधोसंरचना पाइप लाइनको तेजीसे विकसित करनेके उद्देश्यसे वित्तीय विकास संस्थाके माध्यमसे राज्य एवं केन्द्र उपक्रमोंको पूंजी उपलब्ध करायी जायगी। अधोसंरचनाको विकसित करनेके लिए किये जा रहे भारी भरकम खर्चके चलते देशमें न केवल रोजगारके नये अवसर सृजित होंगे, बल्कि इससे अन्य कई उत्पादों जैसे सीमेंट, स्टील आदिकी मांगमें भी वृद्धि होगी जिसके कारण अन्य कई उद्योग भी तेजीसे विकास करते नजर आयंगे। भारतमें बीमाके क्षेत्रमें बहुत कुछ किया जाना बाकी है क्योंकि देशका बहुत बड़ा वर्ग बीमाके कवरेजसे बाहर है। अत: बीमा क्षेत्रको तेजीसे विकसित करनेके उद्देश्यसे बीमा कम्पनियोंमें विदेशी निवेशको बढ़ावा देनेके लिए विदेशी निवेशकी सीमाको ४९ प्रतिशतसे बढ़कर ७४ प्रतिशत किया जा रहा है, इसके लिए बीमा कानूनमें जरूरी संशोधन भी किया जा रहा है।

विभिन्न समस्याओंसे बाहर निकालनेके उद्देश्य से पिछले पांच वर्षोंके दौरान ३.१६ लाख करोड़ रुपयेकी पूंजी सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। फिर भी वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में सरकारी क्षेत्रके बैंकोंको २०,००० करोड़ रुपयेकी अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध करायी जायगी। जिससे बैंकोंकी गैर-निष्पादनकारी आस्तियोंमें कमी की जा सके। ७५ वर्षसे अधिककी आयुके बुजुर्गोंको, जिनकी आय केवल पेंशन एवं ब्याजकी मदोंसे होती है, अब आय कर विवरणी फाइल करनेकी आवश्यकता नहीं होगी। यह देशके बुजुर्गोंके लिए एक विशेष तोहफा है। कोरोना महामारीके चलते केंद्र सरकारकी कुल आयमें आयी भारी कमीके कारण वित्तीय वर्ष २०२०-२१ के लिए ९.५ प्रतिशतका राजकोषीय घाटा होनेका अनुमान लगाया गया है। परंतु वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में इसे घटाकर ६.८ प्रतिशतपर लाया जायगा एवं वित्तीय वर्ष २०२२-२३ में इसे ५.५ प्रतिशततक नीचे लाया जायगा। वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में सरकार द्वारा विभिन मदोंपर खर्चोंके लिए कि ये गये प्रावधानोंके चलते बाजारसे १२ लाख करोड़ रुपयेका सकल उधार लिया जायगा। साथ ही १.७५ करोड़ रुपयेका पूंजी विनिवेश भी किया जायगा, ताकि देशकी जनताके लिए किये जा रहे विकास कार्योंपर किसी भी प्रकारकी आंच नहीं आये। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए प्रस्तुत बजटमें यह प्रयास किया गया है कि देशमें किस प्रकार रोजगारके अधिकसे अधिक नये अवसर सृजित किये जायें।