सम्पादकीय

तनावका कारण 


डा. कर्ण शर्मा

हमारी आत्माकी सामान्य स्थिति शांतिकी है। यदि हमें सहज भावमें छोड़ दिया जाय तब हम शांति ही अनुभव करेंगे, क्योंकि शांति हमारी आत्माका मूल स्वभाव है। शांत रहनेके लिए हमें कोई विशेष परिश्रम करनेकी आवश्यकता नहीं है। लेकिन आजका मनुष्य मौज-मस्ती चाहता है। क्योंकि उत्तेजना हमारी वास्तविक वृत्ति नहीं है इसलिए उत्तेजनाके लिए हमें बाहरी साधनोंकी आवश्यकता पड़ती है। आजके मनुष्यका मन अविद्याके घेरेमें आ चुका है हमारी इंद्रियोंको अपने वशमें करनेके बजाय हमारा मन इंद्रियोंका गुलाम बन चुका है। कठोपनिषदमें यह वर्णन किया गया है कि हमारा शरीर एक रथकी तरह है, हमारी इंद्रियां घोड़ोंकी तरह हैं। मन लगाम है और बुद्धि सारथी है। जिस प्रकार रथका नियंत्रण घोड़ोंपर, घोड़ोंका नियंत्रण लगामपर और लगामका नियंत्रण सारथीपर होता है उसी प्रकार हमारा शरीर इंद्रियोंके नियंत्रणमें, इंद्रियां मनके नियंत्रणमें एवं मन बुद्धिके नियंत्रणमें होना चाहिए। लेकिन आजकल सब कुछ उल्टा हो रहा है। मानवीय इंद्रियां हमेशा शारीरिक आनन्द एवं कामुकताकी ओर आकर्षित रहती हैं। मन उनपर नियंत्रण करनेके बजाय उनके अधीन है। भगवत् गीतामें श्रीकृष्णने कहा है, जिस तरहसे वायुका वेग किश्तीको अपने रास्तेसे भटका सकता है उसी प्रकार कामुकतासे परिपूर्ण केवल मात्र एक इंद्री मनुष्यके विवेकको हर लेती है अर्थात् उसके विनाशका कारण बन जाती है। लेकिन आजकी जीवनशैली ऐसी है कि हर कोई उत्तेजनाके पीछे भाग रहा है। मनुष्यके मनको उत्तेजना देनेवाले बाहरी साधन उसे हर समय उपलब्ध नहीं हो सकती। कोई भी उत्तेजना देनेवाली चीज हो, वह कुछ समयके लिए ही  दे सकती है। जब मनुष्यको उत्तेजना देनेवाला साधन उपलब्ध नहीं होता, तब उसका मन तनावग्रस्त हो जाता है। यह प्रकृतिका नियम है कि जितना ज्यादा कोई उत्तेजना महसूस करेगा, उतना ही वह तनाव भी महसूस करेगा। नतीजा यह है कि बहुतसे लोग आज उत्तेजना और तनावके मध्य झूल रहे हैं। यह दोनों अवस्थाएं हानिकारक हैं, क्योंकि इन दोनों अवस्थाओंमें हमारा मनके ऊपर नियंत्रण नहीं होता है। मनको शांत करनेके लिए ध्यान करना बहुत आवश्यक है। सहज स्थितिमें बैठकर अपने मनको ईश्वरमें स्थित करनेका प्रयास करें। हमारे परमपिता परमात्मा शांतिके सागर है। उनसे शांतिकी किरणें चारों ओर फैलती हैं। महसूस करें कि परमात्मासे आ रही शांतिकी दिव्य तरंगें आपकी आत्माको शांतिसे भरपूर कर रही हैं। मन जितना ज्यादा शांतिकी स्थितिमें रहेगा, उतना ही उसके तनावमें जानेकी संभावना कम है।