राष्ट्रीय

लड़ाकू विमान तेजस के नये प्लांट का उद्घाटन


नयी दिल्ली (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की बेंगलुरु यूनिट में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) का उत्पादन करने के लिए नये प्लांट का उद्घाटन किया। भारतीय वायुसेना के लिए एचएएल से 83 एलसीए विमानों की डील एयरो इंडिया-2021 के दौरान ही पूरी होनी है। उन्होंने कहा कि कई देशों ने तेजस एम-1ए की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि बहुत जल्द भारत को विदेशों से तेजस एम-1ए खरीदने के ऑर्डर मिलेंगे। उन्होंने अगले 3-4 वर्षों के भीतर रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने का विश्वास जताया। रक्षा मंत्री राजनाथसिंह आज सुबह चार दिवसीय यात्रा पर बेंगलुरु पहुंचे। वह अपने बेंगलुरु प्रवास के दौरान कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे, जिसमें मेगा इंटरनेशनल इवेंट एयरो इंडिया-2021 शामिल है। वह बुधवार को एयरो इंडिया का उद्घाटन भी करेंगे।

लड़ाकू सुखोई-30 का निर्माण पूरा

नयी दिल्ली (हि.स.)। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूस से अनुबंधित 272 विमानों में से अंतिम दो सुखोई-30 एमकेआई का निर्माण पूरा कर लिया है और वायुसेना को देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। एक विमान में ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किए जाने की प्रणाली लगाई जा चुकी है जबकि दूसरे को फरवरी के अंत तक प्रमाणित करने की योजना बनाई गई है। फिलहाल यह दोनों लड़ाकू विमान वायुसेना को सौंपने के लिए जरूरी औपचारिकताओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। भारत ने रूस से 272 सुखोई-30 लड़ाकू विमानों का अनुबंध किया था, जिसमें से सभी विमानों का निर्माण पूरा हो चुका है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।

2004 के बाद से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत 222 विमान एचएएल की नासिक यूनिट को दिए गए। इनमें से 40 सुखोई विमानों का उन्नयन सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के हवाई संस्करण को ले जाने के लिए किया जाना था।

अब तक 38 विमान संशोधित करके वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं जिनमें से कुछ को पिछले साल तमिलनाडु के तंजावुर हवाई अड्डे पर तैनात किया गया है। अब 2 बचे सुखोई-30 को भी ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किए जाने के लिए मॉर्डनाइज कर दिया गया है। एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर. माधवन ने कहा कि हालांकि ये दोनों विमान रूस से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) परियोजनाओं में से अंतिम है। इसके बाद सुखोई विमानों के उन्नयन का कार्य काफी हद तक बंद हो जाएगा लेकिन नासिक की एयरक्राफ्ट ओवरहाल डिवीजन मेें मिग सीरीज के विमानों और सुखोई-30 की मरम्मत और ओवरहालिंग जारी रहेगी। एचएएल अब प्रतिवर्ष 15 से 25 सुखोई-30 एमकेआई को ओवरहाल करने की क्षमता रखने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि सुखोई-30 का निर्माण समाप्त होने के बाद एचएएल अब 83 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस-एमके-1 ए के निर्माण की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए दूसरे नये प्लांट का उद्घाटन आज ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है। इस समय वायुसेना के पास 261 सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं। वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में इन 12 विमानों की भरपाई की जानी है, क्योंकि इतनी ही संख्या में सुखोई पिछले सालों में दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। पिछले जुलाई में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 10,730 करोड़ की लागत से रूस से 12 सुखोई-30 एमकेआई विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी।