Post Views: 575 वी.के. जायसवाल ध्यान ऐसी क्रिया है जिसमें व्यक्ति शरीरसे अलग होनेका अनुभव कुछ उसी तरहसे करता है जिस प्रकारसे मृत्युके समय अनुभव किया जा सकता है। गहरे ध्यानकी क्रियाका अनुभव हो या मृत्युके समयका अनुभव हो दोनोंमें ही बहुत कुछ समानताएं है क्योंकि दोनोंमें ही शरीरको छोडऩेका अनुभव होता है बस अंतर […]
Post Views: 678 श्रीराम शर्मा असुरता इन दिनों अपने चरम उत्कर्षपर हैं। दीपककी लौ जब बुझनेको होती है तो अधिक तीव्र प्रकाश फेंकती और बुझ जाती है। असुरता भी जब मिटनेको होती है तो जाते-जाते कुछ न कुछ करके जानेकी ठान लेती है। इन दिनों भी यही सब हो रहा है। असुर तो अपने नये […]
Post Views: 382 अशोक ‘प्रवृद्’ जंजंगलों, पहाड़ों, नदी-नालों, सडकें, आकाश, समुद्र और समस्त संसारको अपना समझनेवाला संसारका सर्वाधिक शक्तिशाली जीव मनुष्य आज एक छोटेसे दिखाई नहीं पडऩेवाले सूक्ष्म जीवसे डरकर घरोंमें कैद होनेको विवश है। इतना सूक्ष्म कि सूक्ष्मदर्शीसे भी दिखाई नहीं पडऩेवाले एक छोटे, महीनसे विषाणु अर्थात वायरसने अमेरिका, चीन, इटली, उत्तर कोरिया सहित […]