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चैतन्यके स्वरूप
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Post Views: 893 ओशो उस परम सत्ता, उस ब्रह्मïको उस अविनाशीको ऋषिने ज्ञान कहा है। लेकिन जिस ज्ञानको हम जानते हैं, उस ज्ञानसे उसका कोई भी संबंध नहीं है। हम सदा किसी वस्तुके संबंधमें ज्ञानको उपलब्ध होते हैं, अकेला ज्ञान कभी नहीं होता। वृक्ष, मनुष्य, राहपर पड़े पत्थर, आकाशके सूर्यको जानते हैं, लेकिन जब भी […]
सबहिं नचावत राम गोसाईं
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 469 हृदयनारायण दीक्षित व्यक्ति असाधारण संरचना है। शरीर प्रत्यक्ष है। अंत:करण अप्रत्यक्ष है। हमारे कर्म तप भौतिक हैं। इनके प्रेरक तत्व हमारे भीतर हैं। इसकी वाह्य गतिविधि दिखाई पड़ती है। जब हर्ष, उल्लास दुख-सुखके भाव बाहर प्रकट होते हैं। भारतके मनीषियों एवं चिन्तकोंने अंत:करणके उल्लास-संवद्र्धनके लिए अनेक उपाय खोजे हैं। ईश्वरका आनन्ददाता कहा […]
संवैधानिक अधिकारोंका हनन
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 492 रविकान्त त्रिपाठी कोरोनाकी महामारीने पूरी दुनियाको झकझोरा है जिन देशोंमें स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर थीं वहां भी हाहाकार मचा और जहां स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर थीं वहां तो हाहाकार मचना स्वाभाविक था। दूसरी लहरने भारतमें ज्यादा तबाही मचायी लेकिन बेहतरीन प्रबंधनके कारण अनियंत्रित होती दिख रही महामारी जल्दी ही पटरीपर आ गयी और आबादीके […]