Post Views: 696 प्रो. एस. शर्मा जीवन बचानेके संघर्षमें सामान्य परिस्थितियोंकी प्राथमिकताएं पीछे छूट गयी हैं। लगभग डेढ़ वर्षसे वैश्विक कोरोना महामारीसे जूझते हुए मानवीय जीवन काफी आशंकित, आतंकित तथा भयभीत हो चुका है। दुनियामें असमय तथा अकारण लाखों मौतोंने जीवनकी परिभाषा बदल दी है। अपनोंको खो देनेकी पीड़ा तथा बुरी तरहसे फैले हुए मौतके […]
Post Views: 841 आंचल में हैं दूध आंखों में हैं पानी , आया समय उठो तुम नारी । कमजोर न खुद को समझो , जननी हो तुम सम्पूर्ण जगत की, गौरव हो तुम अपनी संस्कृति की। तुम जो शक्ति , तुम हो बलवान, करदो नाश जो भी है हैवान। नारी और पुरष सब है समान […]
Post Views: 545 डा. भरत झुनझुनवाला सन्ï १९७० में भारतमें बिकनेवाली दवाओंमें बहुराष्ट्रीय कम्पनियोंका दो-तिहाई हिस्सा था। इसके बाद सरकारने प्रोडक्ट पेटेंटको निरस्त कर दिया। पेटेंट, यानी नये अविष्कारोंको बेचनेका एकाधिकार दो तरहसे बनाये जाते हैं। प्रोडक्ट पेटेंटमें आप जिस माल (प्रोडक्ट) का आविष्कार करते हैं और उसे पेटेंट करते हैं, उस मालको कोई दूसरा […]