पटना

विधायकों को पूरी बुलंदी व मजबूती से अपनी बात रखनी चाहिए : मुख्यमंत्री


पटना (आससे)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधायकों से चिंतामुक्त होकर पुरी बुलंदी एवं मजबूती के साथ सदन में अपनी बात रखने की अपील की। बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष एवं स्थापना दिवस के अवसर पर संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लोकसभा तथा बिहार विधानसभा सचिवालय के संयुक्त तत्वावधान में सेन्ट्रल हॉल में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विधायकों से जनता की बहुत ही अपेक्षाएं रहती है। विधानसभा के सदस्यों का दायित्व अपने क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राज्य के लिए होता है।

इसलिए उन्हें अपनी बातों को पुरी बुलंदी के साथ रखनी चाहिए। इसके लिए कोई परिशानी नहीं है। इसके लिए चिंता कभी मत करिएगा। उन्होंने विपक्षी दलों के विधायकों से भी कहा कि विपक्ष को भी पूरा अधिकार है अपनी बातों को रखने का। उन्हें भी पूरी बुलंदी और मजबूती के साथ अपनी बातों को सदन में रखना चाहिए एवं मिलजुलकर काम करना चाहिए।

उन्होंने लोकसभा के अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि जब वे लोकसभा में चुनकर गए, तो देखा कि संसद के सेंट्रल हॉल में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के लोग काफी मिलजुलकर बातें किया करते थे। जो सदस्य सदन में नहीं भी बोल पाते थे। वे भी सेंट्रल हॉल में खुलकर अपनी बात रखते थे। उनको भी अपने क्षेत्र की जानकारी होती थी और वे अपने क्षेत्र के कार्यों को लेकर अन्य सदस्यों की तरह ही चिंतित रहते थे। वहां के बाद जब मुझे यहां (बिहार) में मौका मिला, तो यहां भी उसी परम्परा को स्थापित रखने के लिए सेंट्रल बनवा दिया। जिससे सबसे बातचीत हो सके। उन्होंने विधायकों से सदन से लेकर क्षेत्र तक में सक्रिय रहने की सलाह दी एवं कहा कि वे जब तक सक्रिय रहेंगे। यहां चुनकर आते रहेंगे। सक्रिय नहीं रहने पर चले भी जाएंगे।

उन्होंने प्रबोधन कार्यक्रम पर कहा कि वर्ष २००६ में सबसे पहले यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। फिर वर्ष २०११ में भी प्रबोधन कार्यक्रम किया गया। २२ मार्च १९१२ को बिहार को बंगाल से अलग किया गया था। तब विधानसभा भवन बनाया गया। ०७ फरवरी १९१९ को विधानसभा की पहली बैठक उसमें हुई थी। २० जनवरी १९१३ को पटना कॉलेज में विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। वर्ष २००६ से ही उन सभी अवसरों के शताब्दी वर्ष पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।