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‘व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम, जमानत अर्जी पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए’- सुप्रीम कोर्ट


  • सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पटियाला जिले में दर्ज एक मामले में आरोपी की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता ‘अहम’ है. साथ ही उन्होंने कहा कि जमानत की अर्ज़ी पर जितनी जल्दी मुमकिन हो सुनवाई की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के पहले और गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए दायर होने वाले आवेदन के लिए कोई सीमा तय नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम से कम यह आशा की जा सकती है कि ऐसी अर्ज़ियों पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए.

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ पंजाब के पटियाला जिले में दर्ज एक मामले के सिलसिले में इस साल मार्च में हिरासत में लिए गए एक आरोपी की याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की. इस याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि ज़मानत के लिए दायर उसका आवेदन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जिस पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए. पीठ ने हाई कोर्ट ने अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता की जमानत की अर्जी पर यथासंभव जल्दी विचार किया जाये.

मामले पर जल्द सुनवाई को कहा

पीठ ने कहा कि सत्र अदालत ने उसकी जमानत अर्ज़ी खारिज कर दी थी. इसके बाद उसने सात जुलाई को जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी. याची के वकील ने पीठ से कहा कि मामले को अदालत में कई बार सूचीबद्ध किया गया लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हो सकी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते पारित अपने आदेश में कहा, हम इस समय मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन व्यक्ति की स्वतंत्रता अहम है. हम उम्मीद करते हैं कि अगर CRPC की धारा 438/439 के तहत आवेदन दायर किया गया है, चाहे गिरफ्तार से पहले या गिरफ्तारी के बाद में, इस पर जितना जल्दी संभव हो सुनवाई होनी चाहिए.”