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सड़क किनारे संतरे बेचने वाले और ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ को पद्मश्री


कर्नाटक के मैंगलोर शहर के रहने वाले हरेकाला हजब्बा सड़क किनारे संतरे बेचते हैं। वह शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए इसके लिए उन्हें हमेशा ही मलाल रहा है लेकिन अपने गांव में वह संत के नाम से जाने जाते हैं। हरेकाला ने अपने गांव में स्कूल बनाने के लिए संतरे बेचकर पैसे बचाए ताकि ग्रामीण बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सकें। नंगे पांव और धोती-शर्ट में जब हरेकाला पद्मश्री लेने पहुंचे तो सभी ने तालियां बजाकर उनका सम्मान किया। वहीं साइकिल मैकेनिक मोहम्मद शरीफ पूरी गरिमा के साथ लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया।

72 वर्षीय पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा को जब राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री सम्मान मिला तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कर्नाटक की पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को 30,000 से ज्यादा पौधे लगाने और पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल रहने के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। तुलसी गौड़ा को जड़ी-बूटियों की तमाम प्रजातियों के बारे में अथाह ज्ञान के कारण ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता है।

तुलसी गौड़ा को इससे पहले कई और अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। तुलसी गौड़ा भी नंगे पांव और धोतीनुमा पारंपरिक आदिवासी पोशाक में राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं। सोशल मीडिया पर तुलसी गौड़ा की तस्वीर खूब शेयर की जा रही है। लोग उनकी काफी तारीफ कर रहे हैं कि देश के लिए इतना बड़ा काम किया, सम्मान हासिल किया लेकिन यह जमीन से जुड़ी है। एक यूजर ने लिखा कि सच में इनकी कहानी प्रेरणादायक है।