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सामरिक खतरों को देखते हुए भारत के रक्षा बजट में ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर


डा. लक्ष्मी शंकर यादव। वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र का हिस्सा 5,25,166 करोड़ रुपये है। यह धनराशि 2022-23 के कुल वित्त बजट के 13 प्रतिशत के लगभग है। साल 2021-22 के लिए कुल रक्षा बजट 4,78,196 करोड़ रुपये था। इस तरह रक्षा बजट में करीब 9.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई। इसके साथ ही सीमा पर चल रही सामरिक चुनौतियों का दीर्घकालिक समाधान निकालने के लिए सैन्य साजो सामान के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जोर दिया गया है।

भारत के लिए रक्षा बजट का विशेष महत्व इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि भारत के दो सीमाई मोर्चे पर हमेशा तनातनी चलती रहती है। भारत की रक्षा चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। भारत के पुराने प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ एलएसी पर तनाव चलते हुए काफी दिन हो चुके हैं। पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सीमाओं पर चीनी सैन्य अतिक्रमण और रोबोट सेना की तैनाती के प्रयास इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

लद्दाख में चीन की चुनौती को देखते हुए तकरीबन 50 हजार सैनिकों की तैनाती की जा चुकी है। इसके अलावा वहां पर टैंकों, विमानों एवं मिसाइलों की तैनाती कर दी गई है ताकि कभी भी युद्ध की स्थिति से निपटा जा सके। ऐसे में और अधिक रक्षा बजट बढ़ाने की आवश्यकता नजर आ रही थी। पाकिस्तान की सीमा पर खतरे एवं चुनौतियां बरकरार हैं। वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराता है तथा उन्हें पाल पोसकर भारत भेजता है, ताकि भारत की तरक्की की रफ्तार को रोका जा सके।