सम्पादकीय

सुख-दु:ख


यदि एक आदमीका सुख दूसरेका दुख होता है तो इसका केवल इतना ही मतलब है कि दूसरा आदमी नासमझ है और उसे भी सुखका कोई पता नहीं है। उसका सुख तभी दुख हो सकता है, जब किसी तरह दूसरेका सुख ईष्र्या बनता हो। लेकिन इसमें दूसरेका सुख जिम्मेदार नहीं है, हमारी ईष्र्या ही जिम्मेदार है। दूसरेके दुखमें दुखी होना तो बहुत आसान है, किंतु दूसरेके सुखमें सुखी होना बहुत कठिन है। क्योंकि दूसरेके दुखमें दुखी होनेमें भी एक मजा है, एक बहुत गहरा रस है। आपके घरमें कोई गुजर गया और मैं आता हूं और मैं बड़ी सहानुभूति दिखाता हूं। यदि मेरी सहानुभूतिमें थोड़ी भी छानबीन करें तो भीतर पायंगे कि मैं बड़ा रस ले रहा हूं, आज आपको दुखी पाकर जरा मौका पाया। आज मैं रस ले रहा हूं और आज मैं सिरपर हाथ रखनेका मजा ले रहा हूं, पैट्रनाइज भी कर रहा हूं कि अरे मत रोइये सब ठीक हो जायगा। यदि हम देखेंगे लोगोंकी सहानुभूतिमें तो बहुत गहरेमें रस पायंगे और यदि आप न रोयें। आपका कोई गुजर गया है और कोई आया है और आप उससे कहें कोई बात नहीं, सब मजा है तो वह कुछ उदास लौटेगा। वह क्रोधित भी हो सकता है कि कैसा आदमी है, क्योंकि उसे जो रस मिल सकता था आपने उसे वह मौका ही नहीं दिया। तैयारी करके आया था कि आज एक मौका है, वह आपके अंतसको पकड़ लेता। दूसरेके दुखमें भी जो हम दुख प्रकट करते हैं, उसमें कहीं रस है। लेकिन दूसरेके सुखमें हम कभी सुख प्रकट नहीं कर पाते। जो दूसरेके सुखमें सुख अनुभव कर पाये, वही केवल दूसरेके दुखमें दुख अनुभव कर सकता है। फिर उसके सुखमें कोई रस नहीं रह जायगा। क्योंकि कसौटी वहां होगी कि वह आपके सुखमें, आपका जो बड़ा मकान बन गया था, तब वह सचमें खुश हुआ था। जब आप एक सुंदर पत्नी ले आये थे, तब वह सचमें प्रसन्न हुआ था। नहीं, तब वह ईष्र्यासे भर गया था, तब वह दुखी हो गया था, तब वह जल गया था, वह उससे कुछ चोट खा गया था। लेकिन उस दुखमें आप जिम्मेदार नहीं हैं, उसमें सिर्फ देखेनेकी दृष्टि गलत है। वह अपना दुख अपने हाथसे पैदा कर रहा है। मेरा मानना यह है कि यदि हमारी दृष्टि ठीक हो तो सबका सुख हमारे लिए सुख पैदा करेगा। इसलिए मुझे एक बड़ी हैरानीका अनुभव होता है। यदि हमारी दृष्टि ठीक हो तो हम सबके सुखमें सुख पैदा करेंगे। तब इतना सुख हो जायगा कि जिसका हिसाब लगाना मुश्किल है। अभी हमारी दृष्टि इतनी गलत है कि हम सबके सुख, दुख पैदा करते हैं तो हमपर इतना दुख इक_ा हो जाता है, जिसका हिसाब लगाना मुश्किल है। कोई धन कमा रहा है, कोई यश कमा रहा है और सबके सुख हमें दुखी किये जा रहे हैं। इसलिए हम पूरी तलाशमें हैं कि कोई दुखी हो जाय।        (आ.फी)