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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया निर्देश, प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति की दें जानकारी


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी दें. दरअसल, याचिका में कोरोना महामारी के बीच प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने सभी राज्यों से इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी उपस्थित हुए.

शीर्ष अदालत ने 8 मार्च को सभी राज्यों को फटकार लगाई थी. बाल अधिकार ट्रस्ट और बेंगलुरु निवासी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया कि कोरोना संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लगाने की घोषणा की थी और इस अवधि के दौरान प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए और सबसे कमजोर लोगों में से रहे हैं.

‘लॉकडाउन से प्रवासी बच्चों को काफी तकलीफ हुई’

कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी कदम उठाए जाने को लेकर चिह्नित किया गया है, लेकिन केंद्र या राज्य शासन की ओर से उन महिलाओं और बच्चों को विस्तारित राहत उपायों के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है, जोकि जिलों में राहत शिविरों और क्वारंटीवन सेंटर्स में फंसे रहे हैं. याचिका में कहा कि लॉकडाउन से प्रवासी बच्चों को काफी तकलीफ हुई है और आज तक प्रवासी बच्चों, शिशुओं और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली प्रवासी महिलाओं की सही संख्या और उनकी जरूरतों का कोई आकलन नहीं किया गया है.

‘प्रवासी बच्चों की गणना कर किया जाए रजिस्ट्रेशन’

याचिका में कहा गया है कि इस महामारी में प्रवासी बच्चों पर भेदभावपूर्ण प्रभाव दिखाई दे रहा है और इससे उनके कमजोर पड़ने की आशंका बढ़ गई है. अगर इस मामले में सुनवाई नहीं हुई तो प्रवासी बच्चे शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रह जाएंगे. याचिता में कहा गया है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स के माध्यम से पंचायत और वार्ड कार्यालयों में स्थानीय अधिकारियों की मदद लेकर विभिन्न कार्य स्थलों और प्रवासी परिवारों के शिशुओं और बच्चों की संख्या की गणना की जाए और पंजीकरण करने के निर्देश दिए जाएं.