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सेना के कमांडरों की कांफ्रेंस में सीमा की सुरक्षा चुनौतियों के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव की होगी समीक्षा


नई दिल्ली। सेना के कमांडरों के पांच दिवसीय सम्मेलन में शीर्ष कमांडर चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं की मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का आकलन करते हुए इसकी समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्वविक कूटनीति और सामरिक रणनीति में हो रहे बदलावों पर भी मंथन किया जाएगा। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे 18 से 22 अप्रैल तक होने वाले कमांडर कांफ्रेंस की अध्यक्षता करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी देश के शीर्ष कमांडरों के साथ एक सत्र में उनके रूबरू होंगे। सेना का कमांडर कांफ्रेंस साल में दो बार अप्रैल और अक्टूबर माह में आयोजित किया जाता है, जिसमें देश के शीर्ष सैन्य अफसर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े तमाम मसलों पर चर्चा और समीक्षा करते हैं।

 

सीमाओं पर जारी आपरेशनल परिस्थि‍तियों की होगी समीक्षा

यह सम्मेलन वस्तुत: सेना के लिए वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श का एक संस्थागत मंच है, जहां भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष के पहले कमांडर कांफ्रेंस के दौरान भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व हमारे सीमाओं पर जारी आपरेशनल परिस्थि‍तियों की समीक्षा करेगा। साथ ही सीमा पर टकराव वाले पूरे क्षेत्र में खतरों का आकलन कर हमारी क्षमताओं को बढ़ाने और आपरेशनल तैयारी से जुड़ी क्षमताओं की कमी का विश्लेषण कर इसे बेहतर बनाने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।