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हरियाणवियों को निजी सेक्टर में आरक्षण पर हाई कोर्ट के रोक के फैसले के खिलाफ सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट


चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणवियों को 75% आरक्षण प्रदान करने के राज्य सरकार के फैसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। हाई कोर्ट ने कल वीरवार को हरियाणा सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी।

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि लिखित आदेश की समीक्षा के बाद सरकार जल्द कानूनी कदम उठा रही है। सरकार राज्य में इस कानून को लागू करवाएगी। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों की शंकाओं और दिक्कतों के लिए वैकल्पिक प्रावधान कानून में दिए गए हैं और यह पूरी तरह संवैधानिक रूप से दुरुस्त कानून है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विश्वास जताया है कि हरियाणा सरकार का स्थानीय रोजगार कानून अदालत की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पास करेगा और हरियाणा के युवाओं को रोजगार का अधिकार मिलेगा।

बता दें, हाई कोर्ट ने हरियाणा में 15 जनवरी से लागू आरक्षण कानून पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। गुरुग्राम व फरीदाबाद के कई औद्योगिक संगठनों ने इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की डिविजन बेंच पर आधारित न्यायाधीश जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन ने कानून के अमल पर स्टे आर्डर जारी किया है।

उद्यमियों ने ये दिए थे तर्क

  • फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व अन्य ने आशंका जताई थी कि नए कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है।
  • आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना इंडस्ट्री पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
  • धरती पुत्र नीति के तहत राज्य सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होनी चाहिए।
  • कानून उन युवाओं के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं।
  • यह कानून योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए पद्धति को शुरू करने का एक प्रयास है जो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा।
  • कानून केंद्र सरकार की एक भारत श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत है।