Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

12वीं के नंबर तय नहीं करते आपका लक्ष्य’- ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की चिट्ठी वायरल


नई दिल्ली, : तमिलनाडु के कुन्नूर में भारतीय वायुसेना का एमआई17 वी5 हेलीकाप्टर बीती 8 दिसंबर को क्रैश हो गया था। इस दुखद हादसे में देश ने अपना पहला सीडीएस और 12 अन्य लोगों को खो दिया है। इस दुर्घटना में अकेले जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का सेना के एक अस्पताल में इलाज जारी है। जहां वो अपने जीवन के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। पूरा देश उनके ठीक होने की प्रार्थना पूरा देश कर रहा है।

शौर्य चक्र से हैं सम्मानित

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को उनकी सूझबूझ का बेहतरीन परिचय देने के लिए इसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। दरअसल एक उड़ान के दौरान उनके फाइटर प्लेन तेजस में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी, लेकिन उन्होंने बिना डरे स्थिति का हिम्मत से सामना किया और प्लेन की सुरक्षित इमरजेंसी लैंडिंग कराई।

स्कूल को लिखी चिठ्ठी वायरल

भारतीय सेना से पुरस्कृत होने के बाद, सितंबर के महीने में वरुण सिंह ने चंडीमंदिर कैंटोन्मेंट स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल, जहां उन्होंने पढ़ाई की थी। वहां की प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसे जर्नलिस्‍ट आदित्य राज कौल ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है। उन्होंने लिखा था कि वो ये चिट्ठी अपनी शेखी बघारने के लिए नहीं लिख रहे, बल्कि इस उम्मीद से लिख रहे हैं कि जो बच्चे इस तेजी से भागती दुनिया में खुद को औसत दर्जे का महसूस करते हैं, उन्हें अपने जीवन के अनुभवों से कुछ सीथ दे सकें।

ट्विटर पर साझा की चिठ्ठी

जर्नलिस्‍ट आदित्य राज कौल द्वारा अपने ट्विटर हैंडल पर साझा की गई चार पन्नों की इस चिट्ठी में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपने एनडीए में बिताए दिनों और वहां से मिले अनुभवों का साझा किया है। साथ ही बताया है कि कब पहली बार उन्होंने अपने जीवन के मकसद को महसूस किया। चिट्ठी में वरुण ने कहा है कि, ‘एनडीए पहुंचने के बाद तक मुझमें उतना आत्मविश्वास नहीं था। स्कूल के दिनों में भी मैं औसत दर्जे का छात्र था, जो बड़ी मुश्किल से 12वीं क्लास में फर्स्ट डिवीजन लाया था। मैं खेलकूद और दूसरी गतिविधियों में भी एवरेज ही था, लेकिन एयरप्लेन और एविएशन को लेकर मेरे अंदर एक अलग ही जुनून था’। ग्रुप कैप्टन सिंह ने अपने स्कूल की प्रिंसिपल को लिखी इस चिट्ठी में आत्मविश्वास पर जोर दिया है। उन्होंने लिखा है कि, 12वीं के नंबर यह तय नहीं करते कि तुम जिंदगी में क्या हासिल करोगे, ये सोचना भी गलत। तुम्हें खुद पर भरोसा रखना है और अपने टारगेट को पाने के लिए मेहनत करते जाना है।

बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत

हमारी मौजूदा वक्त की शिक्षी प्रणाली, जिसमें बच्चों के बीच फर्स्ट आने को लेकर कम्पटीशन बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते रिजर्व रहने वाले बच्चों में जबरदस्त दबाव की प्रवृत्ति दिखती है। ऐसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के ये शब्द लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।