सम्पादकीय


हवा और संक्रमण

हवा और जलके बिना जीवनकी कल्पना नहीं की जा सकती है। शुद्ध वायु और जल दोनों ही जीवनके लिए आवश्यक आवश्यकता है। दुर्भायकी बात है कि हवा और जल दोनों ही प्रदूषित हैं। इससे अनेक प्रकारकी बीमारियां जन्म लेती हैं। प्रदूषणका स्वरूप प्राणघातक हो गया है। पूरी दुनिया इस समय कोरोना महामारीकी भयावह गिरफ्तमें है। बड़ी संख्यामें लोग संक्रमित हो रहे हैं और लोगोंकी मौतें भी हो रही हैं। कोरोना संकटके बीच प्रतिष्ठिïत चिकित्सा पत्रिका लैंसेटमें प्रकाशित एक शोध अध्ययनका निष्कर्ष चिन्ता बढ़ानेवाला है। यह निष्कर्ष ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडाके छह विशेषज्ञोंने निकाला है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संक्रमण फैलानेमें हवा माध्यम बन गये हैं। वैज्ञानिकोंका दावा है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा हवाके माध्यमसे फैलता है। इस बातके ठोस प्रमाण मिले हैं कि सार्स-कोव-२ वायरस (जिससे कोविड-१९ फैलता है) वह सबसे ज्यादा हवासे फैलता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था इस वायरसका इलाज करनेमें विफल साबित हो रही है। हवाके माध्यमसे फैलनेके कारण कोरोना वायरसके सामने लोग असुरक्षित हो जाते हैं। इन वैज्ञानिकोंका यह भी कहना है कि हाथ धोने और सतह साफ रखनेके उपाय भी महत्वपूर्ण हैं लेकिन हवाके माध्यमसे संक्रमणके सिद्धान्तको ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। संक्रमित कणोंकी सांसके माध्यमसे आवाजाहीसे किसी व्यक्तिके बीमार होनेका खतरा ज्यादा रहता है। इन वैज्ञानिकोंके दावेकी वास्तविकताकी भी पड़ताल आवश्यक है जिससे कि वस्तुस्थिति स्पष्टï हो सके। ऐसी स्थितिमें आम जनताको अपनी सतर्कताके प्रति विशेष जागरूक रहनेकी जरूरत है। संक्रमित व्यक्तिके खांसने, बात करने, गाना गाने, चिल्लाने आदिसे स्वयंको सुरक्षित रखनेकी आवश्यकता है। साथ ही हवाई नियंत्रणपर विशेष ध्यान देना होगा। मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाये रखना भी अत्यन्त आवश्यक है। हवाको फिल्टर करना भी जरूरी है। जो भी हो, देश और दुनियामें जिस तरह तेज गतिसे संक्रमण फैल रहे हैं उसे ध्यानमें रखते हुए हवाके प्रति भी हमें सतर्क रहना होगा। इन वैज्ञानिकोंके निष्कर्षोंपर विश्व स्वास्थ्य संघटनको भी समझना होगा कि उनके निष्कर्ष कितने वैज्ञानिक हैं। वैसे हवाके माध्यमसे कोरोना फैलनेकी बातको अस्वीकार भी नहीं किया जा सकता है।

प्रत्यर्पणको मंजूरी

बैंकसे १३ हजार करोड़का घोटाला कर लंदन भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदीको भारत लानेका रास्ता साफ हो गया है। लंदनकी वैड्स जेलमें मार्च २०१९ से बंद नीरव मोदीने अपने मामा मेहुल चौकसी और बैंक अधिकारियोंकी मिलीभगतसे बड़े बैंक घोटालेको अंजाम दिया था। घोटाला सामने आनेके बादसे केन्द्रीय जांच ब्यूरो उसकी गिरफ्तारीके लगातार प्रयास कर रहा था और उसीके प्रत्यर्पण वारंटपर उसे लंदनमें गिरफ्तार कर लिया गया था। ब्रिटेनकी अदालतमें पिछले दो सालसे यह मामला चल रहा था जिसमें भारतको बड़ी सफलता हाथ लगी है। अदालतने भारतके दावोंको सही मानते हुए उसके प्रत्यर्पणको मंजूरी दी है। ब्रिटेनके गृह विभागने भी नीरव मोदीके प्रत्यर्पणकी मंजूरी दे दी है, यह भारतकी बड़ी कूटनीतिक सफलता है। ब्रिटेनकी अदालतने नीरवको घोटालेका साजिशकर्ता माना है और कहा है कि उसे भारतीय अदालतके समक्ष पेश किया जाना न्यायोचित है। सीबीआईने जो सबूत पेश किये हैं, उसे अदालतने सही माना है। जजने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ब्रितानी कानूनके तहत प्रत्यर्पणपर रोकका मामला नीरव मोदीपर लागू नहीं होता है। उसकी सारी दलीलें अदालतने खारिज कर दी, जो न्यायसंगत है लेकिन यह घोटाला केवल नीरव मोदीतक ही सीमित नहीं है, उसने भारतीय बैंक सिस्टममें रिक्स मैनेजमेण्ट इन्फ्रास्ट्रक्चरपर भी सवालिया निशान लगाया है इसलिए नीरव मोदीके साथ मेहुल चौकसीकी गिरफ्तारीके लिए प्रयास तेज रखने होंगे, जिससे उसे भी भारत लाकर दंडित किया जा सके। इसके साथ ही विजय माल्याको भी भारत लानेकी जरूरत है। ब्रिटेनके गृह विभागने तो प्रत्यर्पणकी मंजूरी दे दी है, लेकिन नीरव मोदी अपनेको बचानेके लिए हाईकोर्टकी शरणमें जा सकता है, इसलिए भारतको वहां उसके हर दावोंको खारिज करानेके लिए जोर लगाना होगा, जिससे उससे घोटालेकी रकम वसूल की जा सके। उसके सभी बचनेके रास्तोंको बंद करनेके लिए सीबीआईको अभी और प्रयास करने होंगे।