Post Views: 801 श्रीराम शर्मा मनुष्यका मन कोरे कागज या फोटोग्राफीकी प्लेटकी तरह है, जो परिस्थितियां, घटनाएं एवं विचारणाएं सामने आती रहती हैं और मनोभूमि वैसी ही बन जाती है। व्यक्ति स्वभावत: न तो बुद्धिमान है और न मूर्ख, न भला है, न बुरा। वस्तुत: वह बहुत ही संवेदनशील प्राणी है। समीपवर्ती प्रभावको ग्रहण करता […]
Post Views: 1,005 प्रो. सुरेश शर्मा इक्कीसवीं शताब्दीका वर्ष २०२० पूरी दुनियाको असहनीय दु:ख तथा अपनोंके बिछडऩेका गम दे गया। इस वर्ष कोरोना जैसा महादानव वैश्विक महामारीके रूपमें पैदा होकर विश्वके सभी देशों, राज्यों, महानगरों, गांवों तथा घर-घरमें पहुंचा। इस मनहूस अप्रत्याशित बीमारीने करोड़ों लोगोंको वायरस संक्रमणका शिकार बनाकर लाखों लोगोंके जीवनको असमय मृत्युके आगोशमें […]