अपर मुख्य सचिव (कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान कृषि विपणन, विदेश व्यापार एवं निर्यात प्रोत्साहन) विभाग तथा जिले के प्रभारी अधिकारी डाक्टर देवेश चतुर्वेदी ने सोमवार को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (शहंशाहपुर ) का दौरा किया। अनुसंधान संस्थान के सभागार में कषि वैज्ञानिक, उद्यान तथा पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान संस्थान के निदेशक डाक्टर जगदीश सिंह द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से सब्जी अनुसंधान के क्षेत्र में किये गये रिसर्च और उसके विपणन सहित भविष्य में आर्गेनिक वेजिटेबल प्रोडक्शन आदि की जानकारी दी। संस्थान के निदेशक ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में २७५६ कृषकों को ट्रेनिंग दी गयी है, पिछले पांच सालों में सब्जियों की ४१ किस्मे विकसित की गयी हैं। निजी कम्पनियों के साथ ४३ एमओयू किये जा चुके हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि, कृषि, शिक्षा एवं अनुसंधान, कृषि विपणन, विदेश व्यापार एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग तथा जिले के प्रभारी अधिकारी डाक्टर देवेश चतुर्वेदी ने कहा की किस प्रकार किसानों की आय को बढ़ाने में यह संस्थान अहम भूमिका निभा सकता है। आर्गेनिक वेजिटेबल एवं फ्रूट की मांग बढऩे वाली है। इसे ध्यान में रख कर इसका प्लान तैयार करने का निर्देश उप निदेशक (कृषि) स्मिता वर्मा को दिया। इसके अलावा आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने और इसके सर्टिफिकेशन के लिए डीडी (कृषि) को निर्देश दिए। अधिक उपज देने वाली फसलों व सब्जियों की प्रजाति विकसित करने के पश्चात् उसके उत्पादन की जानकारी किसानों को दी जांय जिससे वे अच्छी आमदनी कर सकें। उन्होंने कहा कि यह संस्थान बीज उत्पादन करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और सीड हब बन सकता है। आर.के.वी.वाई योजना के अंतर्गत किसानों को सब्सिडाइज्ड सीड के पैकेट वितरित किये जायें जिससे वह किसानों में लोकप्रिय हो और ज्यादा से ज्यादा पैदावार हासिल की जा सके। तत्पश्चात अपर मुख्य सचिवने सब्जी अनुसंधान संस्थान के पास ही स्थित ३०० की क्षमता वाली गौशाला में रखे गये २८० आवारा पशुओं की जानकारी ली और उनकी देखभाल के बारे में पूछा। गौशाला के निकट निर्माणाधीन बायोगैस प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण में बायो गैस तैयार करने के लिए गाय के गोबर की आपूर्ति, बायो गैस तैयार करने और सप्लाई आदि के बारे में पूछताछ की।