- नई दिल्ली। नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए क्यूरोसिटी रोवर ने वहां पर बादलों की तस्वीर ली है, जो वहां के वातावरण के हिसाब से काफी बेहद दुर्लभ है। मंगल का वातावरण काफी पतला और ड्राई है। नासा के मुताबिक मंगल पर इस तरह के बादल वर्ष के सबसे ठंडे दिनों में उसकी भूमध्य रेखा के ऊपर दिखाई देते हैं। ये रेखा काल्पनिक है और इसको मंगल के अपनी धुरी पर घूमने के मुताबिक तय किया गया है। जिस वक्त ऐसा होता है उस वक्त लाल ग्रह सूर्य से काफी दूरी पर होता है। आपको बता दें कि मंगल ग्रह का एक वर्ष धरती पर बिताए जाने वाले दो वर्ष के बराबर होता है।
नासा ने अब क्यूरोसिटी रोवर के ऊपर इन बादलों को बनते हुए देखा है जो उम्मीद से कहीं अलग है। नासा इसको लेकर एक डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। नासा के मुताबिक ये बादल काफी चमकीले थे और कुछ में अलग-अलग रंग भी दिखाई दे रहे थे। वैज्ञानिक अब इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा कैसे संभव हुआ है और मंगल पर ये बादल कैसे बने हैं।
हालांकि इस तस्वीर के साथ ये भी बात सच हुई है कि इस टीम ने एक नई खोज को अंजाम दिया है। नासा ने क्यूरोसिटी के जरिए जिन बादलों का पता लगाया है वो काफी ऊंचाई पर थे, जबकि मंगल पर दिखाई देने वाले बादल अधिकतम 60 किमी की ऊंचाई पर ही होते हैं। इनमें पानी और बर्फ होने की भी संभावना जताई गई है। लेकिन क्यूरोसिटी ने जिन बादलों की तस्वीर ली है वो न सिर्फ काफी ऊंचाई पर थे, जहां ये काफी ठंडे होंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये या तो बर्फ के जमने या फिर कार्बनडाईआक्साइड के जम जाने से हुआ होगा।
हालांकि वैज्ञानिकों ने तस्वीरों की और बेहद तरह से जांच और विश्लेषण करने का भी फैसला किया है जिससे किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके। क्यूरोसिटी ने इनकी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर ली है। हालांकि क्यूरोसिटी पर लगे मास्ट कैमरे से इनकी रंगीन तस्वीरें भी ली गई है। आपको बता दें कि नासा ने मार्च में क्यूरोसिटी के जरिए मंगल के आसमान में दिखाई दिए बादलों की कई तस्वीरें ली हैं। इन तस्वीरों से वैज्ञानिक मंगल को लेकर काफी उत्साहित हैं।