- नई दिल्ली. पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. पंजाब से राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा (Partap Singh Bajwa) ने सीएम से शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. साथ ही उन्होंने साफ किया है कि अगर कैप्टन ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो वह किसी और के लिए जगह छोड़ दें, जो इस मामले में फैसला ले. साल 2015 में हुई गोलीबारी और बेअदबी मामले में कैप्टन राज्य में पार्टी सदस्यों के भारी विरोध का सामना कर रहे हैं.
न्यूज18 से बातचीत में बाजवा ने कहा कि चुनाव से पहले बादल के खिलाफ कार्रवाई ‘सबसे पहला मुद्दा’ है. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो कांग्रेस को आगामी चुनाव में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. फोन पर हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘हम एक महीने में समयबद्ध तरीके से एक्शन चाहते हैं.’ बाजवा ने कहा, ‘तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री सुखबीर सिंह बादल और तब डीजीपी रहे सुमेध सिंह सैनी के नाम का चालान फरीदकोट के जिला न्यायालय में पेश होना चाहिए और उनके खिलाफ मामला शुरू होना चाहिए.’
उन्होंने बताया, ‘एजी कार्यालय को केवल कानूनी तरीके से चालान पेश करने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास पहले ही इससे जुड़ी पूरी जांच है.’ बाजवा ने भी कांग्रेस के पैनल से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि अगर समयबद्ध तरीके से चालान पेश नहीं किया गया, तो किसी और को सीएम के तौर पर यह मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘उन्हें खुद को आराम देना चाहिए और किसी और को यह काम करने देना चाहिए. हम भी भी यही कहते हैं कि अगर कराना चाहते हैं, तो उनसे यह काम कराना चाहिए, क्योंकि उन्होंने शपथ ली थी और यह उनका वादा था.’
बाजवा ने कहा, ‘अगर वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो हम उनसे हाथ जोड़कर कहते हैं कि कृपया रास्ता दें और उन्हें सम्मानपूर्व विदाई दी जाएगी. किसी और व्यक्ति को लाया जाए, जो सक्षम और तैयार हो.’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हम अभी उन्हें (बादलों) अदालत ला सकते हैं. केवल 6 महीने बचे और दिसंबर में राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी.’बाजवा ने कहा कि काम करने के लिए थोड़ा ही समय बचा है इसलिए पंजाब में कांग्रेस नेता बेचैन हो रहे हैं. वे कहते हैं, ‘केवल मैं ही नहीं, इस वजह से विधायकों और मुख्यमंत्रियों के सहकर्मियों की बड़ी संख्या उनके खिलाफ हो गई है. ऐसी धारणा चल रही है कि उनके और बादलों के बीच एक शांत समझ है. इस धारणा को तोड़ना होगा. यह धारणा तभी तोड़ी जा सकती है, जब उनके खिलाफ चालान पेश होगा. नहीं, तो यह धारणा और मजबूत होगी और तब लोग हमारे लिए वोट क्यों करेंगे?’