सम्पादकीय

राजद्रोह कानूनपर सुप्रीम सवाल

डा. सुशील कुमार सिंह     जुलाई २०१९ में राज्यसभामें एक प्रश्नके जवाबमें जब स्वराष्टï्र मंत्रालयने कहा कि देशद्रोहके अपराधसे निबटनेवाले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानको खत्म करनेका कोई प्रस्ताव नहीं है तब इसके खात्मेंकी बाट जोहनेवालोंको नाउम्मीदी मिली थी। सरकारने यह भी कहा कि राष्टï्रविरोधी तथ्योंका प्रभावी ढंगसे मुकाबला करनेके लिए प्रावधानको बनाये रखनेकी आवश्यकता […]

सम्पादकीय

प्रामाणिक दवा ही स्वीकार्य

दिनेश सी. शर्मा      पिछले दिनों इंडियन मेडिकल असोसिएशन और पतंजलि आयुर्वेदके संस्थापक रामदेवके बीच हुए वाक्युद्ध जोरोंपर रहा। रामदेवकी दलील थी कि आधुनिक मेडिकल पद्धतिके पास न तो कोविड-१९ का इलाज करनेको कोई दवा है, न ही वह मौजूदा वैक्सीन संक्रमणको पूरी तरह रोकनेमें समर्थ है। उन्होंने आधुनिक पद्धतिको लोगोंको लूटनेमें दवा कंपनियों और अस्पतालोंके […]

सम्पादकीय

जनसंख्या नियंत्रण कानूनसे घटेगा लिंगानुपात

डा. दीपकुमार शुक्ल निर्बाध गतिसे बढ़ती जनसंख्या किसी भी देशके विकासकी सबसे बड़ी बाधा है। भारत भी ऐसा ही एक देश है। संयुक्त राष्ट्रकी जनसंख्या रिपोर्टके अनुसार २०२१ में भारतकी जनसंख्या १२१ करोड़ है। जबकि जनसंख्या वृद्धि दर सम्बन्धी आंकड़ोंपर नजर रखनेवाली वेबसाईट वल्र्डोमीटरके अनुसार भारतकी आबादी अबतक १३९ करोड़ हो चुकी है। देशमें जनसंख्या […]

सम्पादकीय

चातुर्मास

अनिरुद्ध जोशी हिन्दू माहका चौथा माह होता है आषाढ़ माह। इस माहकी शुक्ल एकादशीसे चातुमास प्रारंभ हो जाते है। आषाढ़ी एकादशीके दिनसे चार माहके लिए देव सो जाते हैं। चातुर्मास चार महीनेकी अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशीसे प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशीतक चलता है। यह चार माह है श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक। इसमें […]

सम्पादकीय

राहत और चुनौती

देशके लिए यह राहतकी बात है कि पिछले १२५ दिनोंके अन्दर कोरोनाके नये मामलों और मृतकोंकी संख्यामें उल्लेखनीय गिरावट आयी है और ठीक होनेवालोंकी संख्या भी बढ़ी है। मंगलवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने पिछले २४ घण्टोंके सन्दर्भमें जो आंकड़े जारी किये हैं उसके अनुसार ३०,०९३ नये मामले सामने आये और ३७४ लोगोंकी मृत्यु हुई तथा ४५,२५४ […]

सम्पादकीय

संसदमें हंगामेसे नहीं बनेगी बात

राजेश माहेश्वरी  संसदका मानसून सत्र सोमवारसे शुरू हो गया। सत्रका पहला दिन पूरी तरह हंगामेकी भेंट चढ़ गया। विपक्षने प्रधान मंत्रीको नये मंत्रिमंडलतकका परिचय भी नहीं कराने दिया। वहीं दूसरे दिन भी हंगामेसे शुरुआत हुई और सदनको स्थगित करना पड़ा। यह हालात तब हैं जब स्वयं प्रधान मंत्री जो सदनके नेता हैं, कह चुके हैं […]

सम्पादकीय

राजनीतिका भयावह चेहरा

विष्णुगुप्त     अब मुनव्वर राणाको भी डर लगने लगा। दरअसल मुनव्वर राणाने कहा है कि उत्तर प्रदेशमें योगी आदित्यनाथ सरकारकी वापसी होती है तो वह उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जायंगे। इससे पहले शाहरुख खानको देशकी राजनीतिमें नरेंद्र मोदीकी सक्रियता मात्रसे डर लगने लगा था। नरेंद्र मोदीकी देशकी राजनीतिमें आहट मात्रसे शाहरुख खानको भारतमें अपना भविष्य जोखिम […]

सम्पादकीय

सामग्री स्फीतिका गहराता संकट

आर.डी. सत्येन्द्र कुमार संकट तो संकट है, फिर चाहे वह मुद्रास्फीतिका संकट हा या सामग्री स्फीतिका और जब यह संकट घरेलू उपयोगकी सामग्रियोंसे लेकर एफएमसीजीतकको अपनी निमर्म चपेटमें ले ले तो यह दुखद है। काबिलेगौर है कि पेट्रोल और डीजलकी कीमतोंमें उछाल पहले ही आ चुका था। इसके पहले प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कृषि सामग्रियोंकी कीमतोंमें […]

सम्पादकीय

कुर्बानीका त्योहार

एम. रजा चांदकी दसवीं तारीखको ईद-उल-अजहा यानी बकरीदका त्योहार मनाया जाता है। ईद उल अजहापर कुर्बानी दी जाती है। यह एक जरिया है जिससे बंदा अल्लाहकी रजा हासिल करता है। अल्लाहको पसंद है कि बंदा उसकी राहमें अपना हलाल तरीकेसे कमाया हुआ धन खर्च करे। कुर्बानीका इतिहास देखें तो इब्राहीम अलैय सलामको ख्वाबमें अल्लाहका हुक्म […]

सम्पादकीय

अतिवृष्टिका कहर

देशकी आर्थिक राजधानी मुम्बईमें आफतकी मूसलधार बारिशके कारण भूस्खलन और दीवार गिरनेकी घटनाओंमें ३० लोगोंकी मौत और करीब १८ लोगोंका घायल होना अत्यन्त दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। शहरके चेंबूर इलाकेमें भूस्खलनके बाद एक दीवार ढहनेसे कई झुग्गियां जमींदोज हो गयीं। इस हादसेमें ११ महिलाओं समेत १९ लोगोंकी मौत हो गयी। वहीं बिखरोली उपनगरमें छह कच्चे […]