सम्पादकीय

अस्थिरताके घेरेमें संवैधानिक पद

राजेश माहेश्वरी   उत्तराखण्डमें अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे। दो दशकोंमें ११ मुख्य मंत्री! सोचनेको मजबूर करता है कि वह क्या वजह है कि उत्तराखंडमें इतने मुख्य मंत्री बदले गये। किसी भी राज्यके लिए पांच सालके लिए एक मुख्य मंत्रीकी जरूरत होती है। राज्यके चहुंमुखी विकासके लिए यह जरूरी माना जाता है। राजनीतिक अस्थिरता अनिश्चय और […]

सम्पादकीय

इस्लामिक देशोंमें बदलावकी बयार

प्रणय कुमार परिवर्तन प्रकृतिका शाश्वत नियम है। युगीन आवश्यकता एवं वर्तमान परिस्थिति-परिवेशके अनुकूल परिवर्तन सतत चलते रहना चाहिए। इसीमें अखिल मानवता और जगतीका कल्याण निहित है। परिवर्तनकी यह प्रक्रिया चारों दिशाओं और सभी पंथों-मजहबोंमें देखनेको मिलती रही है। इस्लाममें यह प्रक्रिया धीमी अवश्य है, परन्तु सतहके नीचे वहां भी परिवर्तनकी तीव्र कामना पल रही है। […]

सम्पादकीय

दायित्वके प्रति सजग रहनेकी आवश्यकता

डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा दुनियाके देशोंमें कोरोनाके कारण जान गंवानेवाले लोगोंकी संख्यामें अमेरिका और ब्राजीलके बाद हिन्दुस्तान तीसरा देश हो गया है। हालांकि कोरोनाकी दूसरी लहर अधिक जानलेवा सिद्ध हुई। कोरोनाकी दूसरी लहरकी भयावहताको इसीसे समझा जा सकता है कि इसने देशको संभलनेका ही अवसर नहीं दिया और कोरोना संक्रमितोंमें संक्रमणका असर इतना व्यापक रहा […]

सम्पादकीय

अभ्यासका महत्व

श्रीराम शर्मा  सतत अभ्यास द्वारा शरीर एवं मनको इच्छानुवर्ती बनाया जा सकता है तथा असामान्य कार्य करनेके लिए भी सहमत किया जा सकता है। बुद्धिमान होते हुए भी विद्यार्थी यदि पाठ याद न करे, पहलवान व्यायाम छोड़ दे, संगीतज्ञ, क्रिकेटर अभ्यास करना छोड़ दें, चित्रकार तूलिकाका प्रयोग न करे, कवि भाव संवेदनाओंको संजोना छोड़ बैठे […]

सम्पादकीय

कश्मीरमें नयी चुनौती

कश्मीरमें सुरक्षा व्यवस्थाके मोरचेपर नयी चुनौती सामने आयी है, जिससे सुरक्षाबलोंकी दिक्कतें बढ़ गयी हैं। नयी चुनौती हाईब्रिड आतंकियों या पार्टटाइम आतंकियोंसे उत्पन्न हुई है। नयी परिपाटीके इन आतंकियोंकी संख्या बढ़ रही है, जिन्हें पहचानना भी जटिल कार्य है। ऐसे आतंकियोंको पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआईका संरक्षण प्राप्त है। इनके निर्देशपर हाईब्रिड आतंकी घटनाओंको […]

सम्पादकीय

अर्थव्यवस्थाको गति देनेका प्रयास

 डा. जयंतीलाल भंडारी    वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने राहत पैकेजमें स्वास्थ्य, पर्यटन और छोटे कर्जदारोंके लिए ऋण गारंटी योजनाकी घोषणाके अलावा आपात ऋण सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) की रकम बढ़ानेके साथ आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजनाका दायरा भी बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि नये राहत पैकेजमें अर्थव्यवस्थाके लिए आठ विभिन्न प्रकारके राहत उपायोंकी घोषणा की गयी है। निश्चित […]

सम्पादकीय

महंगीकी मारसे बेहाल आमजन

रमेश सर्राफ धमोरा घरेलू गैस सिलेंडरके दामोंमें वृद्धि करना आम आदमीके लिए बहुत ही दुखदाई होगा। देशमें पेट्रोल और डीजल एक सौ रुपयेसे अधिक प्रति लीटरकी दरपर बिक रहे हैं। ऐसेमें रसोई गैसकी कीमत बढ़ाना बहुत बरा फैसला है। पिछले चौदह महीनोंसे लोगोंको घरेलू गैस सिलेंडरकी सब्सिडी मिलना भी बंद है।  पेट्रोलियम पदार्थोंके दामोंमें वृद्धिके […]

सम्पादकीय

सामाजिक कमजोरीको दर्शाता धर्मान्तरण

 राघवेन्द्र सिंह भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्टï्र है। यहां हर धर्मको माननेवालेको पूरी छूट है कि वह अपने धर्मके अनुसार अपनी जीवन पद्धति सुनिश्चित करे हमारा संविधान हर व्यक्तिको उसकी रुचि एवं आस्थाके अनुसार ईश्वर चयनकी स्वतन्त्रता भी देता है। इसीके अनुसार उसे दूसरी स्वतन्त्रताओंकी तरह बाकायदा संविधानप्रदत्त धार्मिक अधिकार भी प्राप्त हैं। फिर क्यों देशमें […]

सम्पादकीय

ध्यान

 बाबा हरदेव  एक मिसालके पीछे केवल एक ही भाव है कि गुरुका ध्यान किया हुआ कर्म ही प्रधान हो जाता है। कई बार इनसान  सोच लेता है कि आज भले मेला देखो, वहां हाजिरी तो लग ही जायगी। दिमाग जो सोचता है उसमें बनावट हुआ करती है। वास्तवमें भक्ति दिमागका विषय नहीं, बल्कि हृदयका विषय […]

सम्पादकीय

अप्रासंगिक सियासत

भारतके साथ ५९ हजार करोड़ रुपयेके राफेल विमान सौदेकी फ्रांसमें न्यायिक जांच शुरू किये जानेका औचित्य है अथवा नहीं है, यह एक अलग विषय है लेकिन इसे लेकर भारतमें सियासत और राजनीतिक दलोंके बीच आरोप-प्रत्यारोप तथा वाकयुद्धका निश्चित रूपसे कोई औचित्य नहीं है। साथ ही इस सियासतकी प्रासंगिकता भी नहीं है। फ्रांसमें उसकी न्यायिक जांचकी […]