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Bihar : लालू से तनावपूर्ण रिश्ते का खामियाजा भुगतेंगी सोनिया गांधी, इसी साल लगेंगे दो बड़े झटके


पटना : राजद के साथ तनावपूर्ण रिश्ते का खामियाजा विधायकों के वोट से राज्यसभा या विधानसभा में जाने का मन बनाए कांग्रेसियों को भुगतना पड़ सकता है। इस साल बिहार से राज्यसभा के लिए पांच सदस्य चुने जाएंगे, जबकि जून में विधान परिषद में सात सदस्यों की रिक्ति होने वाली है। कांग्रेस इन दोनों चुनावों में अपने दम पर एक भी सीट हासिल नहीं करने जा रही है। 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद के बीच गठबंधन था। राजद के 80 और कांग्रेस के 29 विधायक थे। उस दौर के तीन द्विवार्षिक चुनावों में कांग्रेस को हिस्सा मिला। 2016 में तनवीर अख्तर विधान परिषद गए। 2018 में अखिलेश प्रसाद सिंह राज्यसभा और प्रेमचंद्र मिश्रा विधान परिषद गए। 2020 में कांगे्रस के डा. समीर कुमार सिंह विधान परिषद में जाने का अवसर मिला। हालांकि, कांग्रेस विधान परिषद में अपने दम पर जा सकती थी, लेकिन राजद की मदद के बिना राज्यसभा में बिहार से उसकी उपस्थिति संभव नहीं थी।

 

40 विधायकों का वोट चाहिए

पांच साल बाद 2020 में विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 19 रह गई। यह संख्या राज्यसभा या विधान परिषद में किसी को भेजने के लिए काफी नहीं है। इस साल राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 40 विधायकों का वोट चाहिए। विधान परिषद में यह 30 विधायकों के वोट से संभव है। 2024 में भी राज्यसभा में पांच रिक्ति होगी। संभावना है कि विधानसभा की दलगत संरचना यही रहेगी। उस समय भी कांग्रेस अपने दम पर किसी को राज्यसभा में नहीं भेज सकती है।