सम्पादकीय

विपक्षका आत्मघाती विरोध

विष्णुगुप्त विपक्षका रवैया असंवेदनशील है। एयर स्ट्राइकका सुबूततक मांगा जाता है। भारतीय सेनाको ही बदनाम करनेके लिए राजनीति होती है। दुश्मन देशोंकी पीठ थपथपायी जाती है। जब चीनके खिलाफ भारतीय सरकार जवाब देती है तो फिर विपक्ष यह कहना नहीं चूकता कि भारतीय सरकार और प्रधान मंत्री मोदी देशको युद्ध हिंसामें झेलनेका काम कर रहा […]

सम्पादकीय

लोकतांत्रिक देशमें अधर्मियोंका विस्तार

आर.के. सिन्हा कुछ दिन पहलेतक किसीने मुनव्वर फारुकीका नामतक नहीं सुना था। वह एक अदना-सा स्टैंडअप कॉमेडियन है। वह अब चित्रकार एम.एफ. हुसैनके नक्शेकदमपर चल पड़ा है। जैसे एम.एफ. हुसैनने हिन्दू-देवताओंके नग्न चित्र बनाकर हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत किया था। फारुकी भी अब हिन्दू देवी-देवताओंपर तंज कस रहा है। उसे इंदौरमें गिरफ्तार कर लिया गया […]

सम्पादकीय

उपलब्धि

ओशो जीवनमें हम कोई भी काम तभी करते हैं जब कुछ मिलना हो। ऐसा कोई काम करनेके लिए कोई राजी नहीं होगा जिसमें कहा जाय कि कुछ मिलेगा नहीं और करो। वह कहेगा, फिर मैं पागल हूं क्या कि जब कुछ मिलेगा नहीं और मैं करूं। लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूं, जीवनमें वे ही […]

सम्पादकीय

अब बर्ड फ्लूका कहर

कोरोना वैश्विक महामारीके बीच अब भारतके अनेक हिस्सोंमें बर्ड फ्लूका कहर लोगोंके लिए गम्भीर चिन्ताका विषय बन गया है। कोरोनाके संक्रमणमें अवश्य कमी आयी है लेकिन उनके नये स्ट्रेनका खतरा भी बढ़ गया है। ब्रिटेनसे आये नये स्ट्रेनसे संक्रमित पुणेमें बीस नये मरीज मिले हैं जिससे संक्रमितोंकी संख्या ५८ हो गयी है। इसके प्रसारको देखते […]

सम्पादकीय

शंकाओंका समाधान जरूरी

अवधेश कुमार प्रधान मंत्री मोदी नवम्बरके मनकी बात, फिर कच्छकी विकास परियोजनाओंका शिलान्यास करते हुए और मध्य प्रदेशके किसानोंसे बातचीतमें आन्दोलन एवं कृषि कानूनोंपर अपना रुख स्पष्टï कर चुके हैं। इस बातकी ओर कम लोगोंका ध्यान गया है कि आन्दोलनरत वास्तविक किसानों एवं किसान संघटनोंके प्रति नरम रवैया एवं बातचीतकी नीति अख्तियार करते हुए भी […]

सम्पादकीय

महामारीका अंत निकट

सहाय देशभरमें चलाये जा रहे कोरोना टीकाकरणके लिए पूर्वाभ्यासका संकेत हैं कि इसी माह देशमें अग्रिम मोरचेपर तैनात लोगोंके लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जायेगा। प्रधान मंत्री मोदीने देशवासियोंको बधाई दी है। फिलहाल ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, चीनसे लेकर इसरायल, बहरीन, सऊदी अरब सरीखे देशोंमें टीकाकरणकी प्रक्रिया जारी है। इसरायलने थोड़ेसे वक्तमें ही अपनी १२ फीसदी आबादीको […]

सम्पादकीय

बेरोजगारोंकी बढ़ती फौज खतरेकी घंटी

रवि शंकर विभिन्न एजेंसियोंके ताजा सर्वेक्षण इस ओर इशारा करते हैं कि देशमें बेरोजगारीका ग्राफ बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघटन और एशियाई विकास बैंककी संयुक्त रिपोर्टमें कहा गया है कि देशमें कोरोना महामारीके कारण ४१ लाख युवाओंको नौकरीसे हाथ धोना पड़ा है। बेरोजगारीके यह आंकड़े चिंताजनक हैं। इस बातसे इनकार नहीं किया जा सकता कि […]

सम्पादकीय

चमत्कारी शब्द

रेनू सैनी पिछले वर्षने हमें बहुत कुछ सिखाया है। २०२० को विदा करनेके साथ ही हर व्यक्तिने दिलसे यही दुआ की कि वर्ष २०२१ में विश्व कोरोना मुक्त हो जाय। लोग नव वर्षके आगमनकी खुशीमें नये-नये संकल्प ले रहे हैं। कोई वजन कम करनेका संकल्प ले रहा है कोई सुबह जल्दी उठनेका, कोई नियमित व्यायाम […]

सम्पादकीय

भारतपर बढ़ा भरोसा

कोरोना कालमें पूरी दुनियाकी अर्थव्यवस्थापर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है लेकिन भारतकी अर्थव्यवस्था जिस प्रकार पुन: पटरीपर आ गयी है उससे विदेशी निवेशकोंका भारतपर भरोसा बढ़ गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण शेयर बाजारोंमें जारी तेजीके दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारी निवेश जारी रखना है। डिपाजिटरी आंकड़ोंके अनुसार एफपीआईने विगत दिसम्बर महीनेमें ६८,५५८ […]

सम्पादकीय

संसदीय व्यवस्थामें सजगता जरूरी

डी. भानू बहुतसे भारतीयोंकी यह गलत धारणा है कि अमेरिकी राष्ट्रपतिके पास असीमित शक्तियां होती हैं और एक भारतीय प्रधान मंत्रीको नियंत्रणों और संतुलनोंके बीच काम करना होता है। सचाई इससे बिलकुल उलट है। अमेरिकाके राष्ट्रपतिको एक वास्तवमें स्वतंत्र विधायिका, ५० स्वतंत्र राज्य सरकारों, संघीय और राज्य न्यायपालिकाओं और अपनी शक्तियोंपर संवैधानिक सीमाओं इन सबसे […]