सम्पादकीय

सत्संग का प्रभाव

 बाबा हरदेव साधसंगत, कामधेनु हुआ करती हैए ये अपना फल दिए जाती है। लेकिन जरूरत होती है निमाणा बनने की। जैसे एक सज्जन थे। उन्होंने किसीको पानी भरने के लिए नल पर भेजा। काफी इंतजार की गई, तो वो बहुत व्याकुल हो उठे और सोचने लगे, देरी क्यों हो गयी। नल तो थोड़ी दूर पर […]

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अब सख्ती ही एक मात्र विकल्प

देशमें कोरोना काल की सबसे भयावह तस्वीर हमारे सामने आने लगी है। पिछले १४ माहोंके कोरोना संक्रमण कालके सारे रिकार्ड टूटते हुए इस रविवारको देशमें कोरोना संक्रमितोंका एक दिनका आंकड़ा एक लाख पार कर गया। कोरोनाके पीक समय सितंबरमें भी एक दिनमें अधिकतम ९७ हजार ८६० कोरोना संक्रमित एक दिनमें देशमें सामने आए थे। कोरोनाकी […]

News सम्पादकीय

लैंगिक भेदभाव महिलाओंके विकासमें रोड़ा

वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की २००१ की रिपोर्टपर यकीन करें तो देशमें महिला समानता के दावे खोखले निकले है। भारतके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश या समाज लैंगिक न्याय के बिना संपूर्ण विकास हासिल करने के दावेके विपरीत हालिया जारी वर्ल्ड इकनामिक फोरमकी रिपोर्टमें महिला समानताकी बात तिनकेकी तरह बिखर गयी है। वर्ल्ड इकनामिक फोरमकी वैश्विक […]

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बंगालमें हिंसा और ममताका रवैया

पश्चिम बंगालमें चुनावी हिंसा हमेशा पूरे देशका दिल दहलाती है। निस्संदेहए वर्तमान चुनावमें चुनाव आयोगकी सख्तीका असर हुआ है, लेकिन तीसरे दौरके मतदानमें कूचबिहार के एक विधानसभा क्षेत्रमें हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जो रवैया अख्तियार किया है वो हिंसा से कहीं ज्यादा डरावना है। मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ […]

सम्पादकीय

कोरोनाका बड़ा हमला

कोरोना वायरससे एक दिनमें दो लाख से अधिक लोगोंका संक्रमित होना और एक हजारसे अधिक लोगोंकी मृत्यु अत्यन्त ही भयावह और गंभीर चिंताका विषय है। यह एक दिनके अन्दर अबतक का सर्वाधिक आंकड़ा है। कोरोनाका कहर प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार गुरुवारको पिछले २४ घण्टोंमें दो लाख ७३९ नये […]

सम्पादकीय

बंगालमें हिंसा और ममताका रवैया

अवधेश कुमार पश्चिम बंगालमें चुनावी हिंसा हमेशा पूरे देशका दिल दहलाती है। निस्संदेहए वर्तमान चुनावमें चुनाव आयोगकी सख्तीका असर हुआ है, लेकिन तीसरे दौरके मतदानमें कूचबिहार के एक विधानसभा क्षेत्रमें हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जो रवैया अख्तियार किया है वो हिंसा से कहीं ज्यादा डरावना है। मुख्यमंत्री […]

सम्पादकीय

लैंगिक भेदभाव महिलाओंके विकासमें रोड़ा

बाल मुकुन्द ओझा    वल्र्ड इकनॉमिक फोरम की २००१ की रिपोर्टपर यकीन करें तो देशमें महिला समानता के दावे खोखले निकले है। भारतके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश या समाज लैंगिक न्याय के बिना संपूर्ण विकास हासिल करने के दावेके विपरीत हालिया जारी वल्र्ड इकनामिक फोरमकी रिपोर्टमें महिला समानताकी बात तिनकेकी तरह बिखर गयी है। वल्र्ड […]

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अब सख्ती ही एक मात्र विकल्प

 राजेन्द्र दे शमें कोरोना काल की सबसे भयावह तस्वीर हमारे सामने आने लगी है। पिछले १४ माहोंके कोरोना संक्रमण कालके सारे रिकार्ड टूटते हुए इस रविवारको देशमें कोरोना संक्रमितोंका एक दिनका आंकड़ा एक लाख पार कर गया। कोरोनाके पीक समय सितंबरमें भी एक दिनमें अधिकतम ९७ हजार ८६० कोरोना संक्रमित एक दिनमें देशमें सामने आए […]

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जीवनमें अनिश्चितता

श्रीश्री रवि शंकर जीवनमें अनिश्चितताको देखो, यही सत्य है। जरा पीछे घूमकर दृष्टि डालो, अब तक तुमने जो कुछ भी किया वह स्वप्न की तरह लगेगा। भविष्यमें तुम चाहे कुछ भी करो, शहरको महापौर बना तुम कई बार रोए-रोए हो, क्रोधित हो,  बहुत बार लड़ाई, झगड़ा किए हो, तो क्या सब कुछ गुजर गया। भूतकालमें […]

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न्यायिक व्यवस्थामें महिला जजोंका योगदान

अप्रैल २०१८ में सर्वोच्च न्यायालयकी न्यायाधीश नियुक्त होने वाली ऐसी पहली महिला जिन्हें बेंचमें आनेका मौका मिला उन्होंने अपने विदाई समारोहमें लैंगिक विविधता की बात करते हुए इसे समाजके लिए लाभकारी बताया। आपने कहा कि जब न्यायपालिका में पर्याप्त संख्यामें महिलाएं होंगी तब पुरुष एवं महिला जजोंके बीच भेद नहीं किया जाएगा। यानी जबतक इनकी […]