डा. भरत झुनझुनवाला एफ्रो एशियन बैंक द्वारा २०१८ में प्रकाशित ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यूमें बताया कि उस वर्ष चीनसे १५००० अमीरोंने पलायन किया, रूससे ७००० ने, तुर्कीसे ४००० ने और भारतसे ५००० अमीरोंने पलायन किया। इन चारमें पहले तीन देश चीन, रूस एवं तुर्कीमें तानाशाही सरकार है जबकि भारत लोकतांत्रिक है। मान सकते हैं कि […]
सम्पादकीय
तप और साधनाको समर्पित माह
हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति सदासे है। परिवर्तनशील है। अखंड सौभाग्यवती भी है। प्रकृतिका एक-एक अंश गतिशील है। प्रकृतिके अणु और परमाणु न केवल गतिशील है, बल्कि नाच रहे हैं। ऋग्वेदमें सृष्टिके उद्भवका सुंदर उल्लेख है। चौमासाके चार माह व्रत उपासनाका सुंदर अवसर है। विद्वानोंने १२ महीनोंमेंसे चार महीनेका दायित्व, कर्तव्य और आनन्दको एक अवधिमें लानेका प्रयास […]
मुश्किल है अफगानिस्तानमें तालिबानकी वापसी
संजय राय अफगानिस्तान इन दिनों वैश्विक राजनय और कूटनीतिकी धुरी बना हुआ है। दो दशक बाद अमेरिकाकी सेना अफगानिस्तानसे वापस लौट रही है। अमेरिकी सैनिकोंकी वापसीके साथ ही तालिबान एक बार फिर अपनी पुरानी भूमिकामें आ गया है। तालिबान काबुलकी सत्तापर लोकतांत्रिक तरीकेसे बैठी अशरफ गनीके नेतृत्ववाली सरकारको हटाकर पूरे देशका शासन अपने कब्जेमें करना […]
शिवकी महिमा
अशोक सावनके महीनेमें प्रत्येक शिवभक्तकी यही कामना होती है कि एक बार बाबा बैद्यनाथका दर्शन जरूर कर ले। कहते हैं सागरसे मिलनेका जो संकल्प गंगाका है वही दृढ़निश्चय भगवान शिवसे मिलनेका कांवडिय़ोंमें भी देखा जाता है। तभी तो श्रावणी मेलके दौरान धूप, बारिश और भूख-प्यास भूलकर दुर्गम रास्तोंपर दुख उठाकर अपने दुखोंके नाशके लिए वे […]
संक्रमितोंकी बढ़ती संख्या
देशमें नये कोरोना संक्रमितोंकी संख्यामें तेजी गम्भीर चिन्ताका विषय है। इससे तीसरी लहरके बढ़ते खतरोंको बल मिल रहा है। पिछले कई दिनोंसे प्रतिदिन लगभग ३० हजार नये मामले सामने आ रहे थे लेकिन अब इनकी संख्या ४० हजारसे ऊपर पहुंच गयी है। शुक्रवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें ४४ हजार […]
लाइलाज महामारी प्राकृतिक असंतुलन
ऋतुपर्ण दवे प्रकृतिपर कब किसका जोर रहा है। न प्रकृतिके बिगड़े मिजाजको कोई काबू कर सका और न ही फिलहाल मनुष्यके वशमें दिखता है। हां, इतना जरूर है कि अपनी हरकतोंसे प्रकृतिको हमारे द्वारा लगातार नाराज जरूर किया जा रहा है जिसपर प्रकृतिका विरोध भी लगातार दिख रहा है। लेकिन बावजूद इसके हम हैं कि […]
संसदीय कार्यवाहीमें बाधक विपक्ष
डा. श्रीनाथ सहाय लोकतंत्रमें सरकारका विरोध और उसकी कमियोंको उजागर करनेकी जिम्मेदारी विपक्ष की होती है। लेकिन कुछ तो संसदीय दायित्व होंगे कि संसदकी कार्यवाही चलती रहे। महत्वपूर्ण मुद्दों और विषयोंपर सार्थक बहसके बाद सरकारका जवाब देशके सामने स्पष्टï हो। संसदमें विधेयक पारित किये जायं अथवा संशोधन किये जायं। यह संसद और सांसदोंकी बुनियादी भूमिका […]
प्रेमचन्दका साहित्यिक अवदान
प्रणय कुमार समन्वय एवं लोकमंगलकी भावना एवं साधना हमारा सार्वकालिक आदर्श रहा है। परंतु बीते कुछ दशकोंसे हमारे सार्वजनिक विमर्श और विश्लेषणका ध्येय जीवन और जगतमें व्याप्त एकत्वको खोजनेकी बजाय और विभेद पैदा करना हो चला है। परस्पर विरोधी स्थितियों-परिस्थितियोंके मध्य समन्वय एवं संतुलन साधनेकी बजाय संघर्ष उत्पन्न करना हो गया है। निहित स्वार्थों एवं […]
सच्चा साधक
श्रीराम शर्मा असुरता इन दिनों अपने चरम उत्कर्षपर हैं। दीपककी लौ जब बुझनेको होती है तो अधिक तीव्र प्रकाश फेंकती और बुझ जाती है। असुरता भी जब मिटनेको होती है तो जाते-जाते कुछ न कुछ करके जानेकी ठान लेती है। इन दिनों भी यही सब हो रहा है। असुर तो अपने नये तेवरके साथ आक्रमण […]
प्रकृतिका प्रकोप
कोरोना संकटकी तीसरी लहरके खतरेके बीच प्राकृतिक आपदाओंने लोगोंकी मुसीबत और बढ़ा दी है। एक ओर जहां भारतके कई राज्योंमें कोरोनाने तेजीसे पांव पसारना शुरू कर दिया है, वहीं भूस्खलन, बादल फटने और आसमानसे बरसती आफतकी वर्षा स्थितिको भयावह बना रही है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और लद्दाखमें मूसलाधार वर्षा और बादल फटनेसे आयी बाढऩे भारी तबाही […]