सम्पादकीय

आतंकी साजिशपर राजनीति

अवधेश कुमार   बहुचर्चित और विवादित बाटला हाउस मुठभेड़में दिल्लीके साकेत न्यायालयने इंडियन मुजाहिदीनके आतंकी आरिज खानको दोषी करार देते हुए लिखा है कि अभियोजन द्वारा पेश चश्मदीद गवाहों, दस्तावेजों एवं वैज्ञानिक सुबूत उसपर लगे आरोपोंको साबित करते हैं। न्यायालयने यह भी साफ कहा है कि आरिज एवं उसके साथियोंने इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्माकी हत्या की […]

सम्पादकीय

पर्यावरणके लिए प्रतिबद्धता

डा. उत्तम कुमार सिन्हा   पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जाको बढ़ावा देनेका प्रयास स्पष्ट तौरपर दिख रहा है। वर्ष २०१५ के पेरिस जलवायु समझौतेके आधारपर भारत इसके लिए प्रतिबद्ध है। हमने अतिरिक्त प्रयासके रूपमें संचित कॉर्बन सिंकके लिए भी लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। यानी २.५२३ बिलियन टन कॉर्बन डाइऑक्साइडके आधारपर २०३० तक अतिरिक्त वन्य क्षेत्रमें […]

सम्पादकीय

व्यवस्थामें बुनियादी परिवर्तन अपेक्षित

आर.डी. सत्येन्द्र कुमार किसी भी देशकी अर्थव्यवस्थामें तेलकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसेमें तेलकी कीमतोंमें उछालका निश्चित अवधितक निर्णायक असर पड़ सकता है। ऐसेमें उत्पादनमें कटौतीके चलते तेलने लगभग १४ माहकी उच्चतम कीमत दर्ज की है। इसमें ओपेकके फैसलेने कटेपर नमक छिड़कनेका काम किया है। इससे सऊदी अरबने कहा है कि पिछले साल सस्तेमें जो […]

सम्पादकीय

ध्यानके नजरियेसे

ओशो हजारों सालोंसे जैन शाकाहारी रहे हैं। उनके सभी २४ गुरु योद्धा जातिसे आते हैं और वह सब मांसाहारी थे। उन लोगोंका क्या हुआ। ध्यानने उनके पूरे नजरियेको बदल दिया। न केवल उनके हाथोंसे तलवार छूट गयी, बल्कि उनका योद्धावाला उग्र स्वभाव भी गायब हो गया। ध्यानने उन्हें अस्तित्वसे प्रेम करना सिखाया। वह संपूर्ण रूपसे […]

सम्पादकीय

दूसरी लहरका कहर

केन्द्र सरकारने स्वीकार किया है कि महाराष्टï्रमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहरका कहर शुरू हो गया है। वहां कोरोनाके मामले तेजीसे बढ़ रहे हैं। एक दिनके अन्दर लगभग दोगुने नये मामले सामने आये हैं, जो इसकी भयावहताकी ओर संकेत करते हैं। देशके ७० जिलेमें १५० प्रतिशतसे अधिक कोरोनाके मामले बढ़े हैं। इसमें पश्चिम भारतके ज्यादातर जिले […]

सम्पादकीय

 लक्ष्यसे भ्रमित किसान आन्दोलन

तारकेश्वर मिश्र  दिल्ली सीमापर जिस प्रकार किसान आन्दोलन चल रहा है उससे इस बातका आभास हो रहा है कि इसके पीछे राजनीतिक ताकतें पूरी तरह सक्रिय हो चुकी हैं। सरकार और किसान आपसमें कोई संवाद नहीं कर रहे हैं, ऐसेमें सवाल है कि क्या यूं ही किसान सड़कें घेरकर आन्दोलन करते रहेंगे? क्या सरकार किसानोंसे […]

सम्पादकीय

कैसे जीतें कोरोनासे जंग

डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा  कोरोनाके कारण लम्बे समयतक प्रभावित हालातोंके बाद पिछले दो-तीन महीनोंसे लगने लगा था कि अब देशमें हालात पटरीपर आने लगे हैं परन्तु मार्च आते-आते जिस तरहसे कोरोना पाजिटिवके मामले बढ़ते जा रहे हैं वह एक बार फिर चिन्ताका कारण बन रहा है। पिछले १२ सप्ताहोंमें नये केसोंमें ३३ फीसदी वृद्धि देखी […]

सम्पादकीय

खानेकी बर्बादी रोकनेकी चुनौती

अरविंद जयतिलक संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की ओरसे जारी खानेके सूचकांककी रिपोर्ट-२०२१ का खुलासा चिंतित करनेवाला है कि बीते साल दुनियाभरमें अनुमानित रूपसे ९३.१० करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ जो वैश्विक स्तरपर कुल खानेका १७ फीसदी है। रिपोर्टके मुताबिक इसका ६१ फीसदी हिस्सा घरोंसे, २६ फीसदी खाद्य सेवाओं एवं १३ फीसदी खुदरा जगहोंसे बर्बाद […]

सम्पादकीय

सद्गुरुका ज्ञान

बाबा हरदेव शक नहीं कि निरकार प्रभु परमात्माका ज्ञान सदगुरुसे प्राप्त हो जाता है, लेकिन फिर इसको हम आंखोंसे ओझल कर देते हैं। इस ज्ञानकी संभाल तभी है जब हम इस ज्ञानको बीज रूप मानें। धरतीमें हम जब बीज डालते हैं तो बादमें खाद पानी इत्यादि देते हैं। तभी बड़ा वृक्ष बनता है। फल-फूल लगते […]

सम्पादकीय

लापरवाहीसे लौट रहा कोरोना

राजेश माहेश्वरीï एक तरफ तो देशभरमें चल रहे टीकाकारणके आंकड़े प्रसारित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कोरोनाके नये मामलोंमें वृद्धिकी खबरें भी बराबरीसे सुनाई दे रही हैं। गत दिवस नये संक्रमितोंकी संख्या चौंकानेसे ज्यादा डरानेवाली है। यदि इसपर नियन्त्रण नहीं हुआ तब टीकाकरण आगे पाट पीछे सपाटकी कहावत सच साबित हो जायगी। केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री […]