सम्पादकीय

पेगासस जासूसीसे हंगामा

अवधेश कुमार      पेगासस जासूसीको लेकर तत्कालीन सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसादने अक्तूबर २०१९ में ही बाजाब्ता ट्विटरपर ह्वïाट्सएपसे इसके बारेमें जानकारी मांगी थी। यह अलग बात है कि उसके बाद आगे इसपर काम नहीं हुआ। यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि इसरायली कम्पनी एनएसओके पेगासस नामके इस हथियारका दुनियाकी अनेक सरकारें उपयोग करती हैं। […]

सम्पादकीय

असाधारण उपलब्धि

आर.के. सिन्हा      शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्राके बचावमें कह रही हैं कि उनके पति बेकसूर हैं और वह पोर्न नहीं इरोटिक फिल्में बनाते थे। क्या मतलब होता है इरोटिकका। क्या शिल्पा शेट्टीको पता है कि इरोटिकका अर्थ होता है कामुक या कामोत्तेजक। क्या भारत जैसे देशमें जहांपर अब भी समाज आधुनिकताके नामपर नग्नताको अस्वीकार […]

सम्पादकीय

जनसंख्या जनगणना नीतिके निहितार्थ

 राघवेन्द्र सिंह हमारे देशकी यह नीति इस आधारपर काम कर रही है कि वर्ष २०४५ तक देशमें बढ़ती आबादीपर लगाम लग सके, इस दिशामें ही हमारी सरकार कई कार्यक्रम तेजीसे चला रही है। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है, जब आगे आनेवाले वर्षोंमें शिशु जन्मदरमें कमी आयेगी, उसके साथ युवा आबादी भी बुजुर्ग होती […]

सम्पादकीय

सार्थकता

ओशो महावीरने कहा है जो तुम अपने लिए चाहते हो, वही दूसरोंके लिए भी चाहो और जो तुम अपने लिए नहीं चाहते, वह दूसरोंके लिए भी मत चाहो। तुम एक महल बनाना चाहते हो तो तुम चाहोगे कि दूसरा कोई एेसा महल न बना ले। यदि सभीके पास वैसे ही महल हों तो फिर तुम्हें […]

सम्पादकीय

सीमापर मुस्तैदी

तू डार-डार, मैं पात-पात की तर्जपर भारत चीनकी किसी भी कुटिल चालका उसीकी भाषामें जवाब देनेके लिए सीमापर न सिर्फ पूरी तरह मुस्तैद है, बल्कि अपनी सैन्य ताकतको और मजबूत करनेके लिए रक्षा उपकरणोंको बढ़ानेकी दिशामें निरन्तर अग्रसर भी है। इसी कड़ीमें शीघ्र ही देशमें निर्मित पहले विशालकाय स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांतको चीनी […]

सम्पादकीय

संसदमें भी चाहिए सुशासन

डा. सुशील कुमार सिंह    लोकतंत्रकी धारासे जनताके हित पोषित होते हैं लेकिन जिस तरह संसदमें हो-हल्ला हो रहा है उसे देखते हुए लगता है कि हंगामेसे यह मानसून सत्र तर-बतर रहेगा। वैसे इस बातका पहले ही अंदाजा था कि संसदमें कई मुद्दोंपर संग्राम होंगे। परन्तु यह नहीं मालूम था कि शासन चलानेवाले ही अनुशासन और […]

सम्पादकीय

ग्रामोन्मुख बने कौशल विकास

अशोक भगत   दुनियाकी दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्यावाला देश भारत रोजगारके मामलेमें बेहद पिछड़ा माना जाता है। मानव सभ्यता विकासके प्रथम चरणसे ही प्रगतिका मापदंड रोजगार ही रहा है। इसमें यदि कोई देश पिछड़ा है तो अमूमन यह मान लिया जाता है कि उसकी आर्थिक प्रगति कमजोर है। आंकड़ोंके अनुसार भारतमें मात्र ३.७५ प्रतिशत लोगोंके पास […]

सम्पादकीय

भ्रामक इतिहासको सुधारनेकी पहल

अरविंद जयतिलक यह स्वागतयोग्य है कि शिक्षा मंत्रालयसे जुड़ी संसदकी स्थायी समितिने शिक्षण संस्थाओंमें पढ़ाये जा रहे भ्रामक एवं गैर-ऐतिहासिक तथ्योंको हटाकर इतिहासको संवारने-सहेजनेका मन बना लिया है। इस पहलसे देशकी नयी पीढ़ीको सही और तथ्यात्मक इतिहास पढऩेका मौका मिलेगा तथा साथ ही देशकी महान विभुतियोंके बारेमें गढ़े-बुने गये भ्रामक तथ्योंको दुरुस्त कर सही तथ्यों […]

सम्पादकीय

परम साधन

दीपचन्द परमपिता परमात्माका साक्षात्कार करनेकी विधिका नाम उपासना है। शांत चितसे ईश्वरका ध्यान करते हुए उसकी समीपताका अनुभव करना, अपनी आत्माको आनंद स्वरूप परमेश्वरमें मगन करना उपासना कहा गया है। हमारे ग्रंथोंमें इसे भक्ति भी कहा गया है। जिस विधिसे चित्तकी वृत्तियोंका निरोध करके परमेश्वरके चिंतनमें स्वयंको लगाया जाता है, वही भक्ति है। नारद पुराणमें […]

सम्पादकीय

हथियार लाइसेंस घोटाला

केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने देशके सबसे बड़े हथियार लाइसेंस घोटालेका खुलासा किया है। जो तथ्य उजागर हुए हैं उसमें जम्मू-कश्मीरके कई जिलाधिकारियों और हथियार डीलरोंकी महत्वपूर्ण भूमिका सामने आयी है। २०१२ से २०१६ के बीच रिश्वत लेकर दो लाख ७८ हजारसे अधिक फर्जी गन लाइसेंस जारी कर दिये गये। जम्मू-कश्मीर देशका सर्वाधिक संवेदनशील राज्य […]